Friday, November 22, 2024
Homeराजनीतिमेरी अम्मी ने बॉन्ड पर साइन नहीं किया, इसीलिए अभी तक नज़रबंद: महबूबा मुफ़्ती...

मेरी अम्मी ने बॉन्ड पर साइन नहीं किया, इसीलिए अभी तक नज़रबंद: महबूबा मुफ़्ती की बेटी

इल्तजा मुफ़्ती ने केंद्र से पूछा कि उनकी माँ को सरकार किस कानून के तहत आज़ादी के लिए बॉन्ड पर दस्तखत करने के लिए मजबूर कर रही है?

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी ने दावा किया है कि उनकी माँ समेत बहुत से नेता केवल केंन्द्र सरकार का शांति बनाए रखने वाले बॉन्ड न भरने के कारण अभी भी नज़रबंद हैं। उन्होंने बॉन्ड के औचित्य और वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब मुफ़्ती समेत तमाम नेताओं की गिरफ़्तारी और नज़रबंदी ही ‘अवैध’ थी, तो उससे आज़ादी के लिए बॉन्ड का क्या औचित्य? इल्तजा मुफ़्ती ने केंद्र से पूछा कि उनकी माँ को सरकार किस कानून के तहत आज़ादी के लिए बॉन्ड पर दस्तखत करने के लिए मजबूर कर रही है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म किए जाने के पहले से ही महबूबा मुफ़्ती, उमर अब्दुल्ला, फारूख अब्दुल्ला समेत घाटी के तमाम नेताओं को केंद्र सरकार ने एहतियातन नज़रबंद कर दिया था।

ट्वीट में मीडिया रिपोर्टों का हवाला

इल्तजा ने उपरोक्त सवाल अपनी माँ महबूबा मुफ़्ती के ट्विटर अकाउंट से उठाए। इसके लिए उन्होंने मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया।

घाटी में इन्टरनेट सेवाएँ बंद कर दिए जाने और खुद की नज़रबंदी के चलते 370 हटने के तुरंत बाद महबूबा मुफ़्ती अन्य नेताओं की तरह सोशल मीडिया पर अनुपलब्ध रहीं। लेकिन विगत 20 सितंबर से उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट को इस्तेमाल करने का अधिकार बेटी इल्तजा मुफ़्ती को दे रखा है। यही तरीका फ़िलहाल तिहाड़ जेल में बंद पूर्व गृह और वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने भी अपनाया है, जो अपने परिवार वालों के ज़रिए जेल में बंद होते हुए भी ट्विटर पर समसामयिक मुद्दों से जुड़ी राय रखते रहते हैं।

इल्तजा ने जिन तीन कश्मीरी नेताओं की सशर्त रिहाई से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों का ज़िक्र किया है, वे हैं यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन। अधिकारियों ने आज ही (10 अक्टूबर, 2019, गुरुवार) को हुई उनकी रिहाई के लिए अलग-अलग कारण होने की बात कही है। मीर रफियाबाद विधानसभा सीट से महबूबा की ही पीडीपी के पूर्व विधायक रह चुके हैं, वहीं लोन कॉन्ग्रेस के जिला अध्यक्ष होने के अतिरिक्त उत्तर कश्मीर के टिकट पर चुनावों में किस्मत आजमा चुके हैं। नूर मोहम्मद नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ता हैं, जिनका श्रीनगर के बटमालू में ख़ासा प्रभाव माना जाता है। अधिकारियों ने मोहम्मद की रिहाई के पहले उनके शांति बनाए रखने और अच्छा व्यवहार करने के आश्वासन वाले बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने की बुधवार रात को पुष्टि की थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘ये चेहरे पर चेहरा लगाओगी कब तक…’: महाराष्ट्र में वोटिंग खत्म होते ही बेगम स्वरा भास्कर हुईं वोक, चुनावों में पैगंबर मुहम्मद के नाम...

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में खुद को मुस्लिम के रूप में प्रस्तुत करने के बाद स्वरा भास्कर अब खुद को प्रगतिशील दिखाने लगीं।

मुगलों ने खुद लिखा, अंग्रेजों के इतिहास में भी दर्ज, सरकारी दस्तावेज भी… फिर भी संभल में कैसे मंदिर पर बन गई मस्जिद

हिन्दू पक्ष ने कहा है कि संभल में जहाँ आज जामा मस्जिद खड़ी है, वहाँ उनके आराध्य विष्णु का मंदिर हुआ करता था। उन्होंने सबूत भी रखे हैं।
- विज्ञापन -