जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया है। महबूबा फिलहाल श्रीनगर के हाई सिक्योरिटी इलाके गुपकार स्थित सरकारी बंगले ‘फेयर व्यू’ में रह रहीं हैं। इस बंगले को खाली करने के नोटिस को लेकर महबूबा ने कहा कि उन्हें इसकी पहले से ही उम्मीद थी।
जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा सरकारी बंगला खाली करने के नोटिस को लेकर महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि उन्हें कुछ दिन पहले ही फेयर व्यू को खाली करने का नोटिस मिला है। उन्होंने कहा है, “फेयर व्यू से बेदखल करने का नोटिस मुझे कुछ दिन पहले ही दिया गया था। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है मुझे इसकी पहले ही उम्मीद थी। यह स्थान मेरे पिता (मुफ्ती मोहम्मद सईद) को दिसंबर 2005 में तब आवंटित किया गया था जब वह मुख्यमंत्री नहीं थे। इसलिए प्रशासन द्वारा बताया गया आधार सही नहीं है।”
J&K | PDP chief Mehbooba Mufti confirms to ANI that she has been served a notice asking her to vacate her official government accommodation, the Fairview residence in Srinagar
— ANI (@ANI) October 21, 2022
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मीडिया द्वारा महबूबा से जब यह पूछा गया कि क्या वह इस नोटिस के खिलाफ अदालत जाएँगी तो उन्होंने कहा “मेरे पास ऐसी जगह नहीं है जहाँ मैं रह सकूँ। इसलिए मुझे निर्णय लेने से पहले अपनी कानूनी टीम से परामर्श करना होगा।”
रिपोर्ट्स के अनुसार, महबूबा मुफ्ती को दिए गए नोटिस में कहा गया है कि यह सरकारी आवास मुख्यमंत्री के लिए है और अब वह मुख्यमंत्री नहीं हैं। इसलिए उन्हें यह बंगला छोड़ना होगा।
बता दें, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने महबूबा मुफ्ती को यह नोटिस जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम, 1988, संशोधित अधिनियम, 2016 के अंतर्गत भेजा है। इस नोटिस में उन्हें कहा गया है कि अगर आपको सुरक्षा या किसी अन्य कारण से कोई अन्य वैकल्पिक आवासीय सुविधा की आवश्यकता है तो सरकार आपके आग्रह पर उसकी भी व्यवस्था करेगी।
उल्लेखनीय है, जम्मू कश्मीर विधानमंडल सदस्य पेंशन अधिनियम, 1984 के अनुसार जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवासीय सुविधा के साथ-साथ उसकी देखभाल और साज-सज्जा के लिए 35 हजार रूपये, टेलीफोन खर्च के लिए अधिकतम 48 हजार रूपये और बिजली शुल्क के लिए 1500 रुपए मासिक के अलावा वाहन, पेट्रोल और सहायक की सुविधा दी जाती थी। हालाँकि, 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा दिलाने वाला उक्त अधिनियम समाप्त हो गया है।
इससे पहले, पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद और उमर अब्दुल्ला को भी सरकारी बंगले छोड़ने पड़े थे। लेकिन, महबूबा मुफ़्ती ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सरकारी आवास नहीं छोड़ा था।