दिल्ली गैंगरेप की घटना के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से फाँसी की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद सर्वोच्च अदालत द्वारा दी गई फाँसी की सजा कम करने सम्बन्धी राष्ट्रपति को भेजे जाने वाली दया याचिका को दिल्ली सरकार ने अस्वीकार करते हुए कड़ी टिप्पणी की है।
29 अक्टूबर 2019 को जेल प्रशासन ने सभी कानूनी रास्ते बंद हो जाने पर दोषियों को राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने के लिए सात दिन का वक़्त दिया था। इन दोषियों में सिर्फ विनय शर्मा ने ही इस याचिका के लिए अपनी अर्जी दाखिल की थी जिसे दिल्ली सरकार ने अस्वीकार कर दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपनी अस्वीकार्यता के साथ ही दिल्ली सरकार ने इस सम्बन्ध में अपनी ओर से कड़ी टिप्पणी भी दर्ज की है।
Delhi Minister Satyendar Jain’s noting: This is the case where exemplary punishment should be given to deter others from committing such atrocious crimes. There is no merit in mercy petition, strongly recommended for rejection. 2/2 https://t.co/WVkKxA49iP
— ANI (@ANI) December 1, 2019
दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली सरकार के गृहमंत्री सतेन्द्र जैन ने लिखा कि, “प्रार्थी ने एक जघन्य अपराध को अंजाम दिया है, यह एक ऐसा केस है जिसमें दी जाने वाली सजा को नजीर के तौर पर देखा जाएगा ताकि आने वाले समय में कोई भी इस अपराध को अंजाम न दे। दया याचिका में कोई योग्यता नहीं है, हम इसे अस्वीकार करने की सिफारिश करते हैं।”
16 दिसंबर 2012 की इस घटना का शिकार हुई ‘निर्भया’ ने 29 दिसंबर 2012 को इलाज के दौरान सिंगापुर में दम तोड़ दिया था। दिल्ली में हुई इस गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 23 वर्षीय निर्भया को छ: लोगों ने दुष्कर्म कर चलती बस से धक्का देकर बाहर फेंक दिया था। सभी दोषियों पर लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने घटना के दोषियों को फाँसी की सज़ा सुनाई थी। इनमें से एक दोषी राम सिंह ने पहले ही जेल में फाँसी लगाकर आत्म-हत्या कर ली थी जबकि एक अन्य अभियुक्त (जो घटना के वक़्त नाबालिग था) इस मामले में अपनी तीन साल की अधिकतम सज़ा बाल सुधार गृह में पूरी कर चुका है। बता दें की यह याचिका दिल्ली सरकार के बाद मुख्य सचिव और गृहमंत्री के बाद लेफ्टिनेंट गवर्नर और फिर राष्ट्रपति के पास उनके निर्णय के लिए भेजी जाएगी।