1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में साल 2019 के लिए अंतरिम बजट पेश करने जा रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की घोषणा के बाद अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बजट में मध्यम वर्ग के लिए पिटारा खोला जा सकता है। बता दें कि ये पूर्णकालिक बजट नहीं होगा बल्कि अंतरिम बजट होगा। इस साल होने वाले चुनावों के बाद जो सरकार जीत कर आएगी उसके द्वारा इस वित्त वर्ष के ख़त्म होने तक का बजट पेश किया जाएगा। इस बजट में किसानों के लिए भी बहुत कुछ रहने की उम्मीद है, वहीं छोटे औद्योदिक इकाइयों के लिए भी अहम घोषणाएँ किए जाने की संभावना है।
वित्त मंत्रालय के भीतर लगातार इस बात पर चर्चा जारी है की अंतरिम बजट का स्वरूप क्या होगा। इस बजट से मोदी सरकार की आगे की नीतियों के बाजरे में भी बहुत कुछ पता चलने की उम्मीद है। कुल मिला कर देखा जाये तो चुनावों से तीन महीने पहले आ रहे इस बजट में आम लोगों के लिए बहुत कुछ होगा। विश्लेषकों का मानना है कि इस बजट में किसानों के लिए एक ख़ास पैकेज की घोषणा भी की जा सकती है।
एक सप्ताह पहले दिए अपने एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमे मध्यम वर्ग के प्रति अपनी सोच और नजरिया बदलने की जरूरत है। नवभारत टाइम्स ने अपने गोपनीय सूत्रों के हवाले से बताया;
“पिछले चार बजट में हमने सैलरीड क्लास को राहत दी, क्योंकि वे देश के सबसे ईमानदार टैक्सपेयर्स हैं। अंतरिम बजट की सीमाओं के भीतर हम इस बार भी जितना अधिक कर सकते हैं करेंगे।”
इसके अलावे इनकम टैक्स छूट की सीमा भी बढ़ाए जाने की सम्भावना है। इस से सैलरीड मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी। उनके लिए बचत सीमा भी बढ़ाई जाएगी। सैलरीड मध्यम वर्ग को आय कर में मिलने वाली छूट इस बजट की हाईलाइट होगी। इन सब के अलावे कई सारी वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी भी घटाए जाने की सम्भावना है। साथ ही, इस बजट में होम लोन के ब्याज में भी छूट दी जा सकती है। सरकार पेंशनधारी बुजुर्गों को भी टैक्स छूट देने पर विचार कर रही है।
इस से पहले 2014 में चिदंबरम और 2009 में प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री रहते हुए अंतरिम बजट पेश किया था और दोनों में ही काफी लोक-लुभावन घोषणाएँ की गई थी। ये दोनों बजट भी चुनावी वर्ष में ही पेश हुए थे और नई सरकार आने के बाद पूर्ण बजट पेश किया गया था।