कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र में क्षेत्रीय राजनीति का गंदा खेल फिर शुरू हो चुका है। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘माइग्रेशन कमीशन’ के फैसले पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अपना बयान जारी किया है।
एक ओर जहाँ सीएम योगी ने अपने राज्य के मजदूरों की दुर्दशा देखते हुए सकारात्मक दृष्टि में आयोग गठन का फैसला किया है। वहीं, राज ठाकरे ने बदले की भावना से इस पर मराठी और गैर मराठी जैसी राजनीति को आरंभ कर दिया है।
खबरों के अनुसार, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे ने कहा है कि अगर योगी आदित्यनाथ ने ऐसा नियम बनाया है तो अब हम भी यह कहना चाहते हैं कि किसी भी मजदूर को महाराष्ट्र आने से पहले अब हमारी सरकार, पुलिस और प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। ऐसा ना करने पर किसी को महाराष्ट्र में एंट्री नहीं मिलेगी।
उन्होंने कहा, “यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अगर किसी को यूपी के मजदूरों की सेवाएँ चाहिए तो उसे UP सरकार से अप्रूवल लेना जरूरी होगा। अगर ऐसा है तो अब महाराष्ट्र में घुसने वाले किसी भी मजदूर को हमसे, हमारी सरकार से और हमारी पुलिस से अनुमति लेनी होगी। योगी आदित्यनाथ को इसका ध्यान रखना चाहिए।”
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और पुलिस स्टेशन में प्रवासी मजदूरों के रिकॉर्ड को बनाना चाहिए, जिसमें उनकी तस्वीर भी हो।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल से प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रवासी आयोग बनाने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा था, “उत्तर प्रदेश में आने वाले हर प्रवासी कामगार और श्रमिकों को रोजगार मिले, उनकी बराबर सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित हो। इसके लिए माइग्रेशन कमीशन का गठन किया जा रहा है। हम इन सभी को राज्य के भीतर रोजगार के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ”प्रवासी कामगारों को राज्य स्तर पर बीमा का लाभ देने की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही, ऐसी कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है, जिससे इन लोगों की जॉब सिक्यॉरिटी प्रदेश में ही सुनिश्चित की जा सके और इन्हें मजबूर हो कर अपने घर-परिवार से दूर नौकरी की तलाश में पलायन न करना पड़े।”
घर वापस आए श्रमिक बहनों-भाइयों को प्रदेश में ही सेवायोजित करने के लिए एक माइग्रेशन कमीशन गठित करने की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 24, 2020
‘अर्थव्यवस्था की धुरी’ इन कामगारों को प्रदेश में ही रोजगार उपलब्ध करवाकर इन्हें सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
इसके अलावा समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, योगी आदित्यनाथ ने ये भी कहा कि जो भी राज्य चाहता है कि प्रदेश के प्रवासी कामगार उनके यहाँ वापस आएँ, उन्हें राज्य सरकार से इसकी इजाजत लेनी होगी और उन कामगारों के सामाजिक, कानूनी और आर्थिक अधिकार सुनिश्चित करने होंगे। क्योंकि अन्य राज्यों में उनके साथ दुर्व्यवहार की कई खबरें सामने आई हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हम उन्हें उत्तर प्रदेश में रोजगार देंगे और उन्हें रोजगार मुहैया करवाने के लिए एक आयोग गठित करेगी। साथ ही कामगारों व श्रमिकों की स्किल मैपिंग की जाए और उनका सारा ब्यौरा इकट्ठा किया जाएगा, जिसके बाद उन्हें रोजगार देकर मानदेय दिया जाएगा।”