प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के लोगों को आश्वस्त किया है कि वह और उनकी सरकार असमिया लोगों के हितों की रक्षा करेंगे। असम समझौते (असम एकॉर्ड्स) की धारा 6 की मूल भावना के अनुरूप असमिया लोगों की पहचान और उनके राजनीतिक, भाषाई, सांस्कृतिक और ज़मीन से जुड़े अधिकारों को संवैधानिक संरक्षण के लिए वे प्रतिबद्ध हैं।
The Central Government and I are totally committed to constitutionally safeguard the political, linguistic, cultural and land rights of the Assamese people as per the spirit of Clause 6.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 12, 2019
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और असम के नेताओं के बीच हुए असम समझौते की इस धारा में असमिया समुदाय के राजनीतिक, भाषाई, सांस्कृतिक और ज़मीन से जुड़े अधिकारों को सहेजने के लिए संवैधानिक, वैधानिक और शासकीय सुरक्षा की बात की गई है। दरअसल असमिया समुदाय 1951 से 1971 के बीच तत्कालीन पाकिस्तान से असम में बांग्लाभाषी मुस्लिमों ही नहीं, हिन्दुओं को भी नागरिकता देने के खिलाफ था, क्योंकि उन्हें इसका डर था कि बंगालियों की संख्या अगर ज़्यादा हो गई तो असमी भाषा और संस्कृति विलुप्त हो जाएगी, और असमिया लोग बंगालियों के भेदभाव का शिकार होंगे।
उनकी इसी आशंका को दूर करने के लिए धारा 6 में भारत सरकार ने वादा किया था कि असमिया सांस्कृतिक और ज़मीन से जुड़े अधिकारों को राज्य में संरक्षण दिया जाएगा।
इसी कारण असम समझौते का हिस्सा रही ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन समेत कई संगठन नागरिकता बिल का विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि अगर एनआरसी में नागरिकता से बाहर हुए बंगाली हिन्दुओं को दोबारा नागरिक बनने का मौका नागरिकता विधेयक से मिल गया तो असम में असमी-भाषी लोग और उनकी संस्कृति हाशिए पर आ जाएँगे। इसीलिए असम में इसका विरोध मज़हबी से ज़्यादा भाषाई आधार पर हो रहा है, और स्थानीय लोग बांग्लादेशी मुस्लिमों ही नहीं, बांग्लादेशी/बंगाली हिन्दुओं को भी नागरिकता मिलने के खिलाफ हैं।
दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री हेमंत बिस्व शर्मा समेत भाजपा नेता असम के लोगों को यह समझाने का अनथक प्रयास कर रहे हैं कि यह विधेयक जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ने नहीं, बल्कि संभाल कर रखने के लिए है। “मुझे दृढ़ विश्वास है कि अगर यह विधेयक नहीं पास हुआ तो असमिया हिन्दू महज़ अगले 5 साल में अल्पसंख्यक बन जाएँगे। यह उन तत्वों के लिए फ़ायदेमंद होगा जो असम को एक और कश्मीर बनाना चाहते हैं।”