आयकर विभाग ने अप्रैल में कमलनाथ के करीबियों के घर हुई छापेमारी के बाद इकट्ठा किए गए सबूत और उसकी रिपोर्ट सीबीआई को सौंप दी है। विभाग के इस कदम के बाद कमलनाथ के करीबियों की मुश्किलें बढ़नी तय है, क्योंकि इस मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है। हालाँकि, कमलनाथ इस तरह के सभी आरोपों को खारिज कर चुके हैं। खबर के मुताबिक, आयकर विभाग ने चुनाव आयोग को जो सबूत और जाँच रिपोर्ट सौंपी है, वो हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 11 कॉन्ग्रेस प्रत्याशियों को कथित तौर पर भारी रकम ट्रांसफर किए जाने की ओर इशारा करती है। आरोप ये भी है कि ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमिटी को ₹20 करोड़ की रकम का भुगतान किया गया।
#ExpressFrontPage | Investigators’ records show that former Madhya Pradesh Chief Minister and 2019 candidate from Bhopal Digvijaya Singh tops the list of candidates who received election funds from persons covered in the searcheshttps://t.co/UGLbJFH7VQ
— The Indian Express (@IndianExpress) May 28, 2019
बता दें कि, 7 अप्रैल, 2019 को जिन लोगों के यहाँ छापे मारे गए थे, उनमें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से जुड़े 5 लोग थे। आयकर विभाग ने जाँचकर्ताओं के बयान के साथ-साथ उनके अकाउंट को भी मिलाया है। इसके अलावा व्हाट्सएप चैट के जरिए पैसों के लेन-देन का भी पता लगाया गया है और साथ ही फोन पर की गई बातचीत भी रिकॉर्ड की गई है। इन पर आरोप है कि विभिन्न प्रत्याशियों के इस्तेमाल के लिए पैसे को डायवर्ट किया गया था। हालाँकि, फोन पर हुई बातचीत के ट्रांसक्रिप्ट चुनाव आयोग के पास दाखिल नहीं किए गए हैं। चुनाव आयोग ने इस मामले में 4 मई को लिखित में सिफारिश की है कि इसमें सीबीआई जाँच की जाए।
जाँचकर्ताओं के रिकॉर्ड से पता चलता है कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और इस बार भोपाल से चुनाव लड़ने वाले दिग्विजय सिंह उन प्रत्याशियों की सूची में शीर्ष पर हैं, जिन्हें तलाशी अभियान की जद में आए लोगों से चुनाव के लिए फंड मिले थे। आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, ये जानकारी ललित कुमार चलानी नामक शख्स के कम्प्यूटर से मिली है। ललित एक सीए हैं, जो कमलनाथ के पूर्व सहयोगी आरके मिगलानी और प्रवीण कक्कड़ के साथ काम कर चुके हैं।
ललित के जरिए कथित तौर पर लोकसभा प्रत्याशियों को 25 से 30 लाख रुपए की रकम दी गई। अकेले दिग्विजय सिंह को ही ₹90 लाख मिले। वहीं भुगतान से जुड़ी रसीदें महज दो मामलों में मिली हैं। पहली सतना से राजाराम प्रजापति और दूसरी बालाघाट से मधु भगत। इस मामले पर चुनाव आयोग का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों ने जो खर्च किया है, उसका लेखा-जोखा जून के अंत तक आ जाएगा, जिसके बाद ही किसी तरह की कोई कार्रवाई की जाएगी।
जिन अन्य लोकसभा प्रत्याशियों को फंड मिलने का आरोप हैं, उनमें मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन, मंडला से कमल माडवी, शहडोल से प्रमिला सिंह, सिद्धि से अजय सिंह राहुल, भिंड से देवाशीष जरारिया, होशंगाबाद से शैलेंद्र सिंह दीवान, खजुराहो से कविता सिंह नटिराजा और दामोह से प्रताप सिंह लोधी शामिल हैं।
इस मामले पर सीएम कमलनाथ ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। उनका कहना है कि ये मामला सीबीआई को भेजने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। आईटी विभाग के निष्कर्षों में यह भी आरोप है कि मध्यप्रदेश में सरकारी विभागें से बहुत बड़े पैमाने पर पैसा जुटाया गया। इस बारे में विस्तृत जानकारी कमलनाथ के पूर्व ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के व्हॉट्सएप मैसेजों से मिले हैं।
इसके अनुसार, परिवहन विभाग के नाम पर 54.45 करोड़, एक्साइज विभाग के नाम पर 36.62 करोड़, खनन विभाग के नाम पर 5.50 करोड़, पीडब्ल्यूडी विभाग के नाम पर 5.20 करोड़ और सिंचाई विभाग के नाम पर 4 करोड़ रुपए कथित तौर पर ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमिटी को ट्रांसफर किए गए। वहीं, चलानी के फोन से मिले सबूतों से पता चलता है कि ₹17 करोड़ कथित तौर पर ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमिटी को ट्रांसफर किए गए थे। इन पैसों का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव में होना था।