मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अधिवक्ता उमेश बोहरे द्वारा दायर एक याचिका को ख़ारिज कर दिया है। इस याचिका में गाँधी परिवार को SPG सुरक्षा देने की तत्काल माँग इस आधार पर की गई थी कि परिवार के दो सदस्य, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री (इंदिरा गाँधी और राजीव) के तौर पर देश सेवा की थी, उनकी हत्या कर दी गई थी।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर यह कहते हुए 25,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया कि याचिकाकर्ता ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने की कोशिश में था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने हाल ही में कॉन्ग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा के लिए विशेष सुरक्षा दल (SPG) कवर वापस ले लिया था।
गाँधी परिवार और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के SPG सुरक्षा कवर को वापस लेने के केंद्र के क़दम का विरोध करते हुए, कॉन्ग्रेस ने राज्यसभा में यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से विशेष सुरक्षा बहाल करने का आग्रह किया, सदन का वॉक आउट भी किया।
पार्टी नेता आनंद शर्मा ने कहा कि गाँधी परिवार को SPG कवर की बहाली राष्ट्रीय हित में थी। उन्होंने कहा कि चार नेताओं की व्यक्तिगत सुरक्षा और जीवन पर ख़तरा था और इसलिए केंद्र को ‘पक्षपातपूर्ण राजनीति’ से ऊपर उठना चाहिए।
समाचार एजेंसी ANI ने कॉन्ग्रेस नेता के हवाले से कहा,
“कृपया इससे ऊपर उठें और समीक्षा करें और बहाल करें। यह राष्ट्रीय हित में होगा, अन्यथा आज, कल और भविष्य में भी इस पर सवाल उठाया जाएगा।”
हालाँकि, मोदी सरकार ने यह कहते हुए सुरक्षा कवर को बहाल करने से इनकार कर दिया कि इस तरह के फ़ैसले गृह मंत्रालय के पैनल द्वारा ख़तरों की गहन समीक्षा के आधार पर लिए जाते हैं। इसके अलावा, इस बात का भी उल्लेख किया गया कि इस तरह के फ़ैसलों में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता।
केंद्र के फ़ैसले का समर्थन करते हुए, वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जिन लोगों को इस पर आपत्ति है, वे कोर्ट में जा सकते हैं और इसे चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब यूपीए सत्ता में थी, तब कुछ राजनेताओं का सुरक्षा घेरा डाउनग्रेड कर दिया गया था।
राज्यसभा सांसद ने यह भी कहा कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) द्वारा राजीव गाँधी की हत्या के बाद परिवार को ख़तरा पैदा हो गया था। लेकिन, अब लिट्टे ख़त्म हो गया है और पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए लोगों के प्रति, सोनिया गाँधी और परिवार के अन्य सदस्यों का रवैया भी बदल गया है।
बता दें कि इससे पहले भी अधिवक्ता उमेश बोहरे ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसका संबंध लोकसभा चुनाव 2019 में इलेक्ट्रॉनिक वोटर मशीन (EVM) मशीन को लेकर था। इसमें उन्होंने EVM मशीन को लेकर कई सवाल खड़े किए थे, तब भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। दिलचस्प बात यह है कि उमेश बोहरे जैसे अधिवक्ता के पास बेवजह के मुद्दे उठाने की आदत है, फिर भले ही उनकी बेबुनियादी याचिकाओं के लिए उन्हें कोर्ट से फ़टकार ही क्यों न लगे।