भाजपा ने रविवार (14 अप्रैल, 2024) को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अपना संकल्प-पत्र जारी कर दिया, जिसे ‘मोदी की गारंटी’ नाम दिया गया है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने इस घोषणा-पत्र (Manifesto) को तैयार किया है। इसमें लगातार तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद UCC (समान नागरिक संहिता) का वादा किया है। UCC भाजपा के लिए पुराना मुद्दा है। अब मौलाना मुस्ताक मलिक ने यूसीसी को लेकर धमकी दी है।
हैदराबाद स्थित ‘तहरीक मुस्लिम शब्बन’ के अध्यक्ष मौलाना मुस्ताक मलिक ने कहा है कि UCC के मसले पर हम इसके खिलाफ हैं और इसे लाने की कोशिश की जाएगी तो इसके विरोध में प्रतिक्रिया वैसी ही होगी जैसी CAA (नागरिकता संशोधन कानून) और NRC पर रिएक्शन आया था। उन्होंने कहा कि मुल्क के मुस्लिम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक हित के मुद्दों पर इनकी (भाजपा की) जबान बंद रहती है और मुस्लिमों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश की जा रही है।
मौलाना मुस्ताक मलिक ने कहा कि ये इस तरफ मुल्क को ले जा रहे हैं, जहाँ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर चुनाव लड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि पहला चरण जब करीब आ गया है, भाजपा अपने इरादे में कामयाब नहीं हो पाएगी। इतना ही नहीं, ‘तहरीक मुस्लिम शब्बन’ के अध्यक्ष ने ये भविष्यवाणी भी कर डाली कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में लाल किले से झंडा नहीं फहरा पाएँगे। बता दें कि हैदराबाद में AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और भाजपा की माधवी लता के बीच है।
Watch: "We are against the UCC, and if it is forced upon us, the reaction will be the same as it was for the CAA and NRC," says Maulana Mushtaq Malik, President of Tahreek Muslim Shabban, regarding the BJP manifesto. pic.twitter.com/697uZU95z7
— IANS (@ians_india) April 14, 2024
बता दें कि भाजपा ने अपने संकल्प-पत्र ‘मोदी की गारंटी’ में ‘सुशासन की मोदी की गारंटी’ हिस्से के अंतर्गत समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है। पार्टी का कहना है कि भारत के अनुच्छेद-44 में समान नागरिक संहिता राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के रूप में दर्ज की गई है और भाजपा का मानना है कि जब तक इसे नहीं अपनाया जाता, महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिल सकता। पार्टी ने कहा कि भाजपा सर्वश्रेष्ठ परंपराओं से प्रेरित UCC के लिए प्रतिबद्ध है, जिनमें उन परंपराओं को आधुनिक हिसाब से ढाला जाएगा।