पश्चिम बंगाल में 11 फरवरी को वाम मोर्चे द्वारा राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ की ओर कूच करने के दौरान पुलिस के साथ हिंसक झड़प में घायल हुए डीवाईएफआई के एक कार्यकर्ता की सोमवार (फरवरी 15, 2021) सुबह मौत हो गई। इससे राज्य में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
माकपा ने युवा कार्यकर्ता की मौत के लिए तृणमूल सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे ‘हत्या’ करार दिया है। वहीं, राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने इसे ‘आत्महत्या’ बताया है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि बांकुड़ा जिले के कोतुलपुर के निवासी मैदूल इस्लाम मिद्दा का दक्षिण कोलकाता के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था।
उन्होंने बताया कि मिद्दा की हालत लगातार बिगड़ रही थी और सुबह अत्यधिक रक्तस्राव से उनकी मौत हो गई। कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शेक्सपीयर सरनी पुलिस थाने में मिद्दा की मौत के सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम हर पहलू को ध्यान में रख कर मामले की जाँच कर रहे हैं। शव का पोस्टमॉर्टम किया जाएगा।’’ इस बीच, माकपा ने मिद्दा की मौत के लिए तृणमूल सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। माकपा के नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘यह हत्या का मामला है। मार्च के दौरान जिस तरह से छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया, यह दर्शाता है कि तृणमूल सरकार डरी हुई है और चिंतित है।’’
पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए, सुजान चक्रवर्ती ने कहा, “यह सिर्फ एक मौत नहीं है, यह एक हत्या है- सरकार ने एक युवा को मार डाला है, जो अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाला था और सभी के लिए शिक्षा और नौकरी की माँग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहा था।”
भाजपा के प्रदेश प्रमुख दिलीप घोष ने भी मिद्दा की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए तृणमूल सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। यह दर्शाता है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस ने सभी चीजों पर नियंत्रण खो दिया है। पश्चिम बंगाल में जो कुछ भी हो रहा है, वह सही नहीं है।’’
वहीं, तृणमूल कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायती मामलों के मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा, ‘‘कोई भी मौत दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन उस दिन पुलिस ने बहुत समझदारी से कार्रवाई की। मुझे लगता है कि यह आत्महत्या का मामला है।’’
गौरतलब है कि मार्च के दौरान वामदल की युवा शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) से जुड़े कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई थी। पुलिस ने इस दौरान कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, आँसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें भी की थीं। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की राज्य इकाई के अध्यक्ष श्रीजन भट्टाचार्य ने कहा, “पुलिस की क्रूरता के कारण उनकी मृत्यु हुई।”
माकपा के राज्य सचिव सूरज कांता मिश्रा और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता अब्दुल मन्नान ने भी आरोप लगाया है कि लाठीचार्ज के दौरान लगी चोटों से मिद्दा की मौत हुई। कॉन्ग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने कहा, “एक युवा कार्यकर्ता, जिसने सभी के लिए शिक्षा और नौकरी की माँग की थी, नबन्ना की रैली के दौरान पुलिस द्वारा पीटा गया था और आज उनकी मृत्यु हो गई – हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।”