केंद्र सरकार ने अलगाववादी नगा संगठन NSCN-IM की देश के उत्तर पूर्वी हिस्से में स्थित राज्य नगालैंड के लिए अलग संविधान और झंडे की माँग को सिरे से नकार दिया है। साथ ही संगठन को यह भी साफ़ कर दिया गया है कि “बंदूकों के साए में” अंतहीन वार्ताएँ भी बर्दाश्त नहीं की जाएँगी। नगा वार्ताओं के मध्यस्थ और ईसाई-बहुल राज्य के गवर्नर आरएन रवि ने कहा है कि सरकार का मज़बूत इरादा दशकों से चली आ रही इस वार्ता को बिना और देरी किए खत्म करने का है।
एक बयान जारी कर के रवि ने कहा है कि अंतिम समझौता लिखे जाने के लिए तैयार है। इसमें सभी अहम मुद्दों का समावेश होगा। शुक्रवार को जारी इस बयान में कहा गया है, “दुर्भाग्य से इस शुभ मोड़ पर NSCN-IM ने एक देर करने वाला रवैया अपना लिया है। वे मामले का हल निकालने में देरी करने के लिए विवादास्पद प्रतीकात्मक मुद्दे जैसे अलग नगा राष्ट्रीय झंडा और संविधान जैसे मुद्दे उठा रहे हैं जिनके बारे में वे पूरी तरह जानते हैं कि भारत सरकार की पोजीशन क्या है।”
आरएन रवि का यह बयान महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से जब अनुच्छेद 370 हटाया था तो उसे मिले विशेष दर्जे के तहत उसका खुद का संविधान और झंडा भी रद्द हो गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री व सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह कई मौकों पर कह चुके हैं कि वे देश में केवल एक संविधान और एक झंडे के सिद्धांत में यकीन रखते हैं।
गवर्नर रवि ने NSCN-IM नेताओं पर आरोप लगाया कि वे बेवजह ‘Framework Agreement’ को दोबारा वार्ता में घसीट कर उसमें नई-नई कल्पित सामग्री जोड़ रहे हैं। गौरतलब है कि रवि की ही मौजूदगी में NSCN-IM के महासचिव Thuingaleng Muivah और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच Framework Agreement पर हस्ताक्षर हुए थे। रवि के अनुसार कुछ NSCN-IM नेता मीडिया प्लेटफॉर्मों के इस्तेमाल से लोगों को जानबूझकर “अजीबोगरीब अनुमानों और धारणाओं से” गुंमराह कर रहे हैं, वह भी उस चीज़ के बारे में जिस पर पहले ही सरकार से समझौता किया जा चुका है।
उनकी इन्हीं हरकतों के चलते रवि ने नगा समाज के नेताओं के साथ 18 अक्टूबर, 2019 को बैठक की थी। उन नेताओं के साथ रवि ने NSCN-IM के साथ हुए Framework Agreement की रूपरेखा आदि साझा किए थे। उपस्थित लोगों की शंकाओं का भी समाधान किया गया था। अपने बयान में रवि ने कहा है कि समझदार नगा समाज के नेताओं ने समस्या के समाधान को अतिशीघ्र लागू करने की बात पर सहमति जताई। बयान में कहा गया है, “नगा लोगों की इस इच्छा का सम्मान करने के लिए सरकार शांति प्रक्रिया का बिना किसी देरी के समापन करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
गौरतलब है कि जहाँ एक ओर ईसाई-बहुल नगालैंड में NSCN-IM अलग संविधान को लेकर हिंसक आंदोलन कई दशकों से चला रही है, वहीं अमित शाह ने पिछले महीने असम में कहा था कि सरकार स्थानीय संस्कृति को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाले विषयों तक ही सीमित अनुच्छेद 371 जैसे प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगी, लेकिन संदेश में यह भी साफ था कि सरकार देश के भीतर 370 जैसी समानांतर राजनीतिक व्यवस्था दोबारा नहीं बनाने देगी।