Monday, December 23, 2024
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जिसने राफेल को सुप्रीम कोर्ट में घसीटा, अपने उस बीमार आलोचक का हाल जानने पहुँचे PM मोदी

.....इन दोनों को मीडिया के तमाम प्रोपेगंडा पोर्टल्स में जगह मिली और उनके बयानों को रोज़ाना प्रकाशित किया जाने लगा। आज जब वही अरुण शौरी बीमार पड़े तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुणे पहुँच कर अपने पुराने साथी का हालचाल लिया।

इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में राफेल सबसे बड़ा मुद्दा बना था। मोदी सरकार के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनावी रैलियों तक, हर जगह माहौल बनाने की कोशिश की गई थी। इसमें सबसे प्रमुख नाम भाजपा के ही दो पूर्व दिग्गजों का था। पूर्व केंद्रीय मंत्रीगण अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा मोदी सरकार के सबसे प्रखर आलोचकों में से एक बन गए थे। इन दोनों को मीडिया के तमाम प्रोपेगंडा पोर्टल्स में जगह मिली और उनके बयानों को रोज़ाना प्रकाशित किया जाने लगा। आज जब वही अरुण शौरी बीमार पड़े तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुणे पहुँच कर अपने पुराने साथी का हालचाल लिया।

अरुण शौरी एक सप्ताह पहले हॉस्पीटलाइज्ड हो गए थे। उन्हें पुणे के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 78 वर्षीय वरिष्ठ नेता रात को अचानक से गिर पड़े थे, जिसके बाद परिवार आनन-फानन में उन्हें लेकर अस्पताल पहुँचा। डॉक्टरों ने विभिन्न टेस्ट करने के बाद कहा था कि उनकी हालत स्थिर है। रविवार (दिसंबर 8, 2019) को उनसे मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके साथ तस्वीरें साझा की। पीएम ने लिखा कि उन्होंने अरुण शौरी के स्वास्थ्य की जानकारी ली। साथ ही उन्होंने बताया कि शौरी से बातचीत काफ़ी अच्छी रही।

ये वही अरुण शौरी हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले को ही त्रुटिपूर्ण करार दिया था, जिसमें मोदी सरकार को राफेल मामले में क्लीनचिट दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी उन्होंने समीक्षा याचिका दायर की थी और अधिकारियों पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगा कर उनके ख़िलाफ़ भी याचिका दाखिल की थी। मोदी के प्रखर आलोचक रहे अरुण शौरी रविवार को पीएम से मुलाक़ात के दौरान काफ़ी ख़ुश नज़र आए। लेकिन कुछ ही महीनों पहले तक शौरी, प्रशांत भूषण और यशवंत सिन्हा के साथ मिल कर नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ अभियान चला रहे थे।

अरुण शौरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कारोबारी अनिल अम्बानी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई किए जाने की माँग की थी। उनका आरोप था कि वो सुप्रीम कोर्ट जाने को इसीलिए मजबूर हुए क्योंकि सीबीआई सरकारी दबाव के कारण मामला दर्ज नहीं कर रही थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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