प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक शपथ को 32 वर्ष पूरे हो गए हैं और अब वह शपथ भी पूरी हो गई है। यह शपथ अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी हुई है, जो उन्होंने 14 जनवरी 1991 को ली थी। तब संघ के सामान्य कार्यकर्ता रहे नरेन्द्र मोदी ने शपथ ली थी कि वह अयोध्या में जन्मभूमि पर तभी लौटेंगे, जब यहाँ राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा।
अब अयोध्या में भगवान राम का मंदिर का निर्माण कार्य जारी है और 22 जनवरी 2024 में इसके गर्भगृह पीएम मोदी की उपस्थिति में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस मंदिर की आधारशिला भी प्रधानमंत्री मोदी ने ही रखी थी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीन दशक पुराना शपथ पूरा हो रहा है।
कैसे पहुँचे मोदी अयोध्या, क्या थी शपथ?
1991 का साल अंत पर था और दिसम्बर का महीना आ चुका था। कश्मीर में इस्लामी आतंकवादी तांडव मचा रहे थे। यहाँ से कश्मीरी हिंदुओं को भागना पड़ा था। कश्मीर के अधिकांश हिस्से में आतंकवादी खुलेआम घूमते थे। इसी दौरान भाजपा के बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी ने तय किया कि वह कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा निकालेंगे और श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराएँगे। इस यात्रा की प्रबन्धन की जिम्मेदारी तब युवा नरेन्द्र मोदी को दी गई।
नरेन्द्र मोदी के प्रबन्धन के अंतर्गत यह यात्रा 11 दिसम्बर 1991 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से निकली। इसके बाद यह यात्रा दक्षिण के राज्यों से होते हुए 14 जनवरी 1992 को उत्तर प्रदेश में अयोध्या पहुँची। यहाँ यात्रा में शामिल नेताओं ने राम जन्मभूमि पर दर्शन पूजन किए। तब बाबरी ढाँचा नहीं गिरा था। इस यात्रा के एक वर्ष पहले ही यहाँ कारसेवकों पर गोलियाँ चलवाई गई थीं। इसलिए यहाँ का माहौल भी तनावपूर्ण था।
युवा नरेन्द्र मोदी यहाँ जब जन्मभूमि के दर्शन को पहुँचे तो वह ठिठक गए और टेंट में बैठे भगवान रामलला को काफी देर तक एकटक देखते रहे। अयोध्या में फोटो जर्नलिस्ट रहे महेंद्र त्रिपाठी ने एबीपी न्यूज को बताया कि इस दौरान उन्होंने युवा नरेन्द्र मोदी से बातचीत की थी। उनका कहना है कि उस दौरान नरेन्द्र मोदी भावुक हो गए थे।
महेंद्र त्रिपाठी ने जब नरेंद्र मोदी से उस दौरान पूछा कि वह अब राम जन्मभूमि पर कब वापस आएँगे तो नरेन्द्र मोदी का उत्तर था कि वे अब तभी वापस आएँगे, जब यहाँ मंदिर का निर्माण होगा। मुरली मनोहर जोशी के साथ उनकी अयोध्या में राम जन्मभूमि पर दर्शन करने की कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
जब तक राम मंदिर बनने का मौक़ा नहीं आया, मोदी ने रामजन्मभूमि में कदम नहीं रखा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में 1992 में जो प्रण लेकर गए थे, सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर का रास्ता प्रशस्त होने तक निभाते रहे थे। वह 5 अगस्त 2020 को अयोध्या तब लौटे, जब उन्हें उन्होंने राम मंदिर की आधारशिला रखने के लिए बुलाया गया। इस बीच वे अयोध्या तो कई बार आए, लेकिन रामजन्मभूमि नहीं गए। इस प्रकार उन्होंने अपनी शपथ पूरी की।