महात्मा गाँधी की हत्या आज ही के दिन 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे ने कर दी थी, तभी से उन्हें एक खलनायक के तौर पर पेश किया जाता रहा है। शिवसेना कभी नाथूराम गोडसे का सम्मान करती थी, आज स्थिति इसके उलट है। नाथूराम गोडसे पर कीचड़ उछाले जा रहे हैं, लेकिन कभी बाल ठाकरे ने नाथूराम गोडसे पर फिल्म की वकालत किए थे।
वर्ष 2019 की बात है, जब 84वें मराठी साहित्य सम्मेलन की स्मारिका में नाथूराम गोडसे के उल्लेख पर NCP नेता जितेंद्र अवहड ने गोडसे का उल्लेख करने पर आपत्ति जताई थी। इसको लेकर शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने जितेंद्र पर हमला बोलते हुए कहा था कि नाथूराम का नाम नहीं छपेगा तो क्या वहाँ इस्लामिक आतंकी इशरत जहाँ का नाम छपेगा।
उस साहित्य सम्मेलन के दौरान नाथूराम गोडसे का विरोध करते हुए एनसीपी ने आयोजन स्थल के पास स्मारिका के उस पेज को भी जला कर प्रदर्शन किया था। इसके बाद आयोजकों ने बाद में माफी माँगी थी। बता दें कि इशरत जहाँ के एनकाउंटर के बाद जितेंद्र ने उनके परिवार का समर्थन किया था और इशरत जहाँ को निर्दोष बताया था।
उस घटना के बाद उस वक्त की हिंदूवादी पार्टी शिवसेना ने राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (राकांपा) के विधायक जितेंद्र अवहड से ये पूछा था कि क्या वो ये चाहते हैं कि 2004 में अहमदाबाद में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारी गई 19 साल की आतंकी इशरत जहाँ की तस्वीर को प्रकाशित करें। दरअसल, इशरत जहाँ को लेकर पुलिस का कहना था कि वह एक इस्लामी आतंकवादी थी।
28 नवंबर 2019 को सामना में लिखे संपादकीय में लिखा गया था, “नाथूराम से नफरत करने वाले इशरत से प्यार करते हैं। क्या वे चाहते हैं कि नाथूराम की जगह इशरत की तस्वीर को स्मारिका में प्रकाशित किया जाए?” सामना ने नाथूराम गोडसे का समर्थन करते हुए कहा था कि उन्हें हिंदुत्व पर बहुत गर्व है। सामना ने गोडसे के लिए लिखा था, “वह हमेशा अखंड भारत के लिए खड़े रहे। क्या ऐसी भावनाओं को पनाह देना राष्ट्र विरोधी है? वह एक असली देशभक्त थे।”
इसके बाद एनसीपी नेता जीतेंद्र ने भी पलटवार करते हुए शिवसेना पर हिंदूवादी राजनीति करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था, “ये (शिवसेना) चाहते हैं कि उनका रुख भाजपा से ज्यादा उग्र हो। आरएसएस का मतदाता राज ठाकरे की ओर झुक रहा है और शिवसेना उन्हें अपने पास रखना चाहती है। यही कारण है कि वे इस तरह के भड़काऊ लेख लिख रहे हैं।”
कभी बाल ठाकरे ने भी किया था नाथूराम गोडसे का समर्थन
शिवसेना के संस्थापक रहे बाल ठाकरे ने दिसंबर 1998 में एक इंटरव्यू के दौरान हिंदू राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे का समर्थन किया था। बाल ठाकरे ने फिल्म ‘फायर’ में परोसी गई अश्लीलता पर बात करते हुए सेंसर बोर्ड को लेकर कहा था कि अगर आप ‘फायर’ को अनुमति देते हैं तो आपको नाथूराम गोडसे को भी अनुमति देनी चाहिए, क्योंकि यही लोकतंत्र है।
Nathuram Godse always fought for Akhand Bharat Bal Thackeray also supported