जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर भारत को पाकिस्तान से बातचीत शुरू करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर हमें आतंकवाद को खत्म करना है तो पाकिस्तान से बात करनी होगी।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “ये सच है कि आतंकवाद आज भी मौजूद है। ये (भाजपा) जो कहते हैं कि हमने आतंकवाद खत्म कर दिया है, नहीं हुआ है। वे गलत थे जब उन्होंने कहा था कि यह खत्म हो चुका है। अगर हम आतंकवाद को खत्म करना चाहते हैं तो हमें अपने पड़ोसी (पाकिस्तान) से जरूर बात करनी होगी। मुझे वाजपेयी जी का कथन याद है कि दोस्त बदले जा सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं।”
I appeal to them (Central government) to speak to them (Pakistan) to find a way like they spoke to China & they (PLA troops) started withdrawing (from LAC): National Conference leader Farooq Abdullah (2/2)
— ANI (@ANI) February 21, 2021
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा, “मैं उनसे (केंद्र सरकार) अपील करता हूँ कि वे उनसे (पाकिस्तान) बातचीत का कोई रास्ता खोजें जैसे उन्होंने चीन से बात की थी और वे (पीएलए जवान) अब पीछे हटने लगे हैं। या तो हम दोस्ती और समृद्धि बढ़ाएँगे या दुश्मनी जारी रखेंगे, तो कोई समृद्धि नहीं होगी।”
उनकी पार्टी द्वारा परिसीमन आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, “हमने पहले ही कहा है कि उन्होंने पाँच अगस्त (2019) को जो किया है वह हमे स्वीकार्य नहीं हैं। जब हमने यह स्वीकार ही नहीं किया है तो हम जम्मू-कश्मीर के लिए कैसे परिसीमन आयुक्त स्वीकार कर सकते हैं।”
इससे पहले जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यंमत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भी पाकिस्तान से बातचीत की बात कही थी। महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए ही जम्मू कश्मीर के मुद्दे का हल निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा था कि इस मसले का हल न तो युद्ध है और न ही बंदूक से इसका समाधान निकल सकता है।
महबूबा मुफ़्ती ने अपने बयान में कहा था, “आखिर कब तक जम्मू और कश्मीर के लोग, पुलिसकर्मी और सेना के जवानों को अपनी जान गँवानी पड़ेगी। भाजपा बार-बार इस बात पर ज़ोर देती है कि पाकिस्तान यहाँ के आतंकवादी तत्वों को बढ़ावा देता है, उन्हें प्रायोजित करता है। इसके आधार पर भारत को हिंसा पर काबू पाने के लिए पड़ोसी मुल्क से बातचीत शुरू करनी चाहिए। केंद्र सरकार को यहाँ के लोगों के बारे में सोचना पड़ेगा और उसके लिए पाकिस्तान से बात करना ज़रूरी है।”