Sunday, November 17, 2024
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‘इतिहास में जनजातीय वीरों का नहीं किया गया ठीक से वर्णन’: 125 विश्वविद्यालयों में NCST के कार्यक्रम, बताया जा रहा जनजातीय नायकों का योगदान

विश्वविद्यालयों में जनजातीय विषयों से जुड़े विषयों पर अनुसंधान को बढ़ावा मिले और जनजाति समाज से आने वाले छात्र भी ज्यादा से ज्यादा अनुसंधान में शामिल हों, ये भी इसका उद्देश्य है।

स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के योगदान पर छत्तीसगढ़ के बस्तर स्थित शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय से कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। देश भर के 125 विश्विद्यालयों में इसके तहत कार्यक्रम आयोजित किए जाने का निर्णय लिया गया है। ‘राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)’ आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। बस्तर में हुए कार्यक्रम में 300 से ज्‍यादा छात्रों ने हिस्सा लिया।

कई विद्वानों, प्रोफेसरों और जनजातीय विषयों के इतिहासकार व बुद्धिजीवी इसमें शामिल हुए। ‘आजादी के अमृत महोत्‍सव’ के तहत ‘राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग’ देश भर के 125 विश्वविद्यालयों के साथ मिल कर स्‍वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के योगदान पर कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस श्रृंखला के तहत मंगलवार (23 अगस्त, 2022) से बस्‍तर स्थित शहीद महेंद्र कर्मा विश्‍व‍विद्यालय में कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

यूनिवर्सिटी के ‘स्‍वामी आत्‍मानंद सभागार’ में हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य अनंत नायक ने स्‍वतंत्रता संग्राम में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जनजातीय योद्धाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज से आने वाले हमारे नायकों के बारे में इतिहास में न्याय नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सिद्धू कान्हू, बुद्धु भगत, शंकर शाह और तिलका माँझी जैसे वीरों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन इतिहास में जिस तरह से उसका वर्णन किया जाना चाहिए था वैसा नहीं किया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि अंग्रेजों ने साजिश के तहत जनजाति समाज की गौरवशाली परंपरा को झुठला कर उन्हें आपराधिक जनजाति घोषि‍त कर दिया। उन्होंने कहा, “दरअसल ऐसा इसलिए था, क्‍योंकि जनजातीय समाज ने कभी उनकी गुलामी को स्‍वीकार ही नहीं किया। वि‍श्‍वविद्यालयों के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रमों को करने का उद्देश्य भी यही है कि समाज को स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के योगदान का पता चल सके।

साथ ही विश्वविद्यालयों में जनजातीय विषयों से जुड़े विषयों पर अनुसंधान को बढ़ावा मिले और जनजाति समाज से आने वाले छात्र भी ज्यादा से ज्यादा अनुसंधान में शामिल हों, ये भी इसका उद्देश्य है। कार्यक्रम में विश्‍व‍विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत NCST ने स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के योगदान पर कार्यक्रमों की जो श्रृंखला शुरू की है, उसकी शुरुआत हमारे विश्‍व‍विद्यालय से हो रही है – यह हमारे लिए गौरव की बात है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमारे विश्‍व‍विद्यालय से इस तरह के कार्यक्रम की शुरुआत होने से देश भर में एक सकारात्‍मक संदेश जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य वक्त के तौर पर आमंत्रित नागपुर के RTMN विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर श्‍यामराव कुरेटी ने जनजातीय नायकों के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज के क्रांतिकारियों वीर नारायण सिंह, वीर गुण्डाधुर आदि के बारे में लोगों को जानकारी दी।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में उप-निदेशक राकेश दुबे ने सभागार में मौजूद लोगों को आयोग द्वारा किए जाने वाले कार्यों, आयोग की शक्तियों व जनजातीय समाज के लिए आयोग कैसे काम करता है, इसकी जानकारी दी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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