केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल में एक बैठक के दौरान बताया कि वो कॉन्ग्रेस के बारे में क्या सोचते हैं। 27 अगस्त 2022 को उद्यमियों के साथ हुई एक चर्चा में उन्होंने याद किया कि एक बार उन्हें भी किसी दोस्त ने भाजपा छोड़ कॉन्ग्रेस में शामिल होने को कहा था, लेकिन वो जानते थे कि उन्हें कॉन्ग्रेस का हाथ किसी हाल में नहीं थामना।
गडकरी ने कहा,
“मैं नागपुर में छात्रनेता के तौर पर काम करता था। तब कॉन्ग्रेस नेता श्रीकांत जिचकर ने मुझे एक दिन कहा- यार नितिन तुम अच्छे इंसान हो, तुम्हारा राजनीतिक भविष्य सुनहरा है। लेकिन तुम गलत पार्टी में हो। कॉन्ग्रेस में आ जाओ। तब मैंने जवाब दिया था- श्रीकांत मैं कुएँ में जान दे दूँगा लेकिन कॉन्ग्रेस में नहीं आऊँगा क्योंकि मुझे कॉन्ग्रेस की विचारधारा पसंद नहीं है। वो बोले तुम्हारी पार्टी का कोई भविष्य नहीं है। मैंने कह दिया- नहीं है तो नहीं है।”
#WATCH | My friend once advised me to join the Congress, I said, I’d rather drown in a well than join the Congress party. I don’t like the ideology of the Congress: Union Minister Nitin Gadkari (27.08)
— ANI (@ANI) August 29, 2022
(Source: Union Minister's social media handle) pic.twitter.com/NpHU5YQdg8
नितिन गडकरी ने बैठक में शामिल लोगों को प्रेरणा देने के लिए एक और किस्सा बताया। उन्होंने कहा कि जब उनकी पार्टी लगातार हार रही थी तब उनके आईआईटी वाले दोस्त ने एक बार उनको रिचर्ड डिक्सन की एक किताब दी थी। इस किताब में रिचर्ड ने कहा था कि व्यक्ति तब नहीं खत्म होता जब वो हारता है, व्यक्ति तब खत्म होता है जब वो हार को मानता है।
बैठक में शामिल उद्यमियों से बात करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि जो कोई भी व्यवसाय, सामाजिक कार्य या राजनीति में है, उसके लिए मानवीय संबंध सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्होंने कहा कि कभी भी यूज एंड थ्रो की नीति नहीं अपनानी चाहिए। अच्छा समय हो या फिर बुरा। अगर किसी का हाथ थाम लिया है तो उसे थामें रखें।
नितिन गडकरी ने सफलता का असली अर्थ समझाते हुए कहा कि जब आपको सक्सेस मिलती है तो उसकी खुशी अगर आपको अकेले को होती है, तो वो अर्थहीन है। मगर जब आपके साथ वालों को आपकी कामयाबी से प्रसन्नता हो तो वो कामयाबी का असली अर्थ है।
उन्होंने कहा, हमेशा स्थिति से लड़ना चाहिए। अहंकार और आत्मविश्वास दो अलग शब्द हैं। आत्मविश्वास हर व्यक्ति में होना चाहिए लेकिन अहंकार किसी में नहीं होना चाहिए। छोटे-छोटे लोगों से भी बहुत बातें सीखने को मिलती हैं। अगर वो बातें व्यक्ति व्यक्तित्व में ले आए तो उससे खुद में सुधार हो सकता है।