ओडिशा की झारसुगुड़ा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजद (BJD) की बड़ी जीत हुई। पार्टी ने यहाँ दिवंगत विधायक नब किशोर दास की बेटी दीपाली दास (Dipali Das) को प्रत्याशी बनाया था। बड़ी बात यह रही कि दीपाली को उनके पिता से भी अधिक वोट मिले। उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी प्रत्याशी टंकधर त्रिपाठी को 48000 से अधिक वोटों से हराया। कॉन्ग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई।
ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल ने स्वास्थ्य मंत्री रहे नब किशोर दास की हत्या के बाद उनकी बेटी दीपाली दास पर भरोसा जताते हुए प्रत्याशी बनाया था। पार्टी के इस विश्वास पर खरा उतरते हुए दीपाली ने जीत के मामले में अपने पिता को भी पीछे छोड़ दिया। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में नब किशोर ने 45699 वोटों के अंतर से झारसुगुड़ा विधानसभा से जीत दर्ज की थी। वहीं, अब उपचुनाव में दीपाली ने 48 हजार 237 वोटों के साथ बड़ी जीत हासिल की है।
#WATCH | "This is a victory of the people of Jharsuguda, of those who loved my father, of the Chief Minister, of the people and BJD and of everyone associated with my father. This is a victory of Naba Das..," says Dipali Das, the BJD candidate & daughter of slain Odisha minister… https://t.co/KZbfeCArxP pic.twitter.com/Cw7V5s9B4n
— ANI (@ANI) May 13, 2023
कुल वोट मिलने के मामले में भी दीपाली अपने पिता एक कदम आगे रहीं। 2019 के विधानसभा चुनाव में नब किशोर दास को कुल 98 हजार 620 वोट मिले थे। वहीं, दीपाली दास को 1 लाख 7 हजार 198 वोट मिले। दीपाली के निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के उम्मीदवार टंकधर त्रिपाठी रहे, उन्हें 58 हजार 477 वोट मिले। जबकि कॉन्ग्रेस प्रत्याशी तरुण पांडेय का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा, उन्हें महज 4496 वोट मिले।
उपचुनाव में बंपर जीत दर्ज करने के बाद दीपाली दास ने अपनी सफलता का श्रेय झारसुगुड़ा के मतदाताओं और अपने पिता को दिया। उन्होंने कहा है,
पुलिसकर्मी ने गोली मारकर की थी नब किशोर दास की हत्या
दीपाली दास के पिता नब किशोर दास झारसुगुड़ा से विधायक और ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री थे। 29 जनवरी, 2023 को नब किशोर झारसुगुड़ा में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। इसी दौरान कार स उतरते ही उनकी सुरक्षा के लिए तैनात पुलिसकर्मी ने ताबड़तोड़ 5 गोलियाँ नब किशोर दास के सीने में मार दीं। आनन फानन में उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। जहाँ उनकी मौत हो गई। नब किशोर दास के निधन के बाद से झारसुगुड़ा विधानसभा सीट खाली थी।