उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और बेईमान अधिकारियों की नाक में नकेल कसने में लगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस विभाग में भी सख़्त रवैया अपनाया है। उन्होंने यूपी में 50 वर्ष के पार हो चुके नकारा पुलिसवालों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निश्चय कर लिया है। रविवार (23 जून) को आज़मगढ़ ज़िले की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने पुलिस प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कहा कि वर्दी के नाम पर कलंक बन चुके पुलिसकर्मियों के लिए विभाग में कोई जगह नहीं है।
योगी आदित्यनाथ ने इस बैठक में यूपी में आपराधिक घटनाओं के न थमने पर आला अफ़सरों से कड़े सवाल किए। उन्होंने पूछा, “आप के आसपास सारे संसाधन मौजूद हैं, पूरी छूट है और दावे के अनुसार आप सड़क पर ही रहते हैं फिर भी अपराध की घटनाएँ क्यों हो रही हैं? अपराध होने के बाद भी आपका ऐक्शन क्यों नहीं दिखता। किसी घटना का जब मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है, उसके बाद ही आपका ऐक्शन क्यों दिखता है?”
मुख्यमंत्री ने कड़े शब्दों में कहा,
“जिन पुलिसकर्मियों की अपराधियों से सांठगांठ है, अभियान चलाकर उनकी पहचान (चिह्नित) करें। वर्दी के नाम पर कलंक बन चुके लोगों की विभाग में कोई जगह नहीं है। चौकीदार सूचनाएँ देकर अपराध को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हर पखवाड़े इनके साथ बैठक करें। प्रधानों और अन्य जनप्रतिनिधियों से भी लगातार संवाद बनाए रखें। लोकतंत्र में समस्याओं के हल का सबसे प्रभावी जरिया है- संवाद। लूट होने पर संबंधित थाने के बीट सिपाही से लेकर अन्य पुलिसकर्मियों की जवाबदेही तय करें।”
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इस बात पर कड़ी नाराज़गी जताई कि जेलों को अपराधियों के आराम और अपराध संचालन का अड्डा बना दिया गया है। उन्होंने ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश जारी किया। साथ ही यह भी कहा कि आँकड़ों को नहीं बल्कि जनता के भरोसे को क़ानून व्यवस्था का मानक बनाना चाहिए, इस भरोसे की बदौलत ही जनता में सकारात्मक संदेश जाता है। महिलाओं और मासूम बच्चों के साथ हुए दुष्कर्म मामलों के ख़िलाफ़ उन्होंने कड़ा रुख़ अख़्तियार करते हुए ऐसे मामलों में कड़ाई से कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इन मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाया जाए और मज़बूती के साथ पैरवी कर दोषियों को दो महीने में अधिकतम सज़ा दिलवाई जाए, इसके बाद ही अपराधियों के मन में ख़ौफ़ पैदा हो सकेगा।
ख़बर के अनुसार, इसी संदर्भ में एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द ने पुलिस की सभी इकाईयों के प्रमुखों, सभी आईजी रेंज और एडीजी ज़ोन को ऐसे नकारा पुलिसवालों की सूची 30 जून तक भेजने का पत्र लिखा है। दरअसल, गृह विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने भ्रष्ट और नकारा पुलिसकर्मियों को जबरन सेवानिवृत्ति देने के निर्देश दिए थे। उसके बाद एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द ने सभी इकाईयों और ज़िलों में बनाई गई स्क्रीनिंग कमिटी की रिपोर्ट तलब कर ली थी। अब उन पुलिसवालों की छंटनी की जाएगी, जिन्होंने 31 मार्च 2019 को 50 वर्ष की आयु पार कर ली है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार और बेईमान अफ़सरों के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाते हुए फ़रमान जारी किया था कि ऐसे अधिकारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा था कि ऐसे अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लें अन्यथा उन्हें सेवानिवृत्ति के लिए बाध्य कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं योगी आदित्यनाथ ने उन अधिकारियों की सूची तैयार करने के आदेश भी जारी किए थे जिनके पास मामले काफ़ी समय से लंबित हैं या वे संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हैं। खबर के मुताबिक, सीएम के सख़्त रवैये के बाद सचिवालय प्रशासन द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए 30 भ्रष्ट अधिकारियों के नाम छाँटे जा चुके हैं।