पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट ने अपने संसदीय क्षेत्र पर ध्यान देने की सलाह दी है। दरअसल, आइएनएक्स मीडिया केस और एयरटेल मैक्सिस केस में आरोपित कार्ति चिदंबरम ने अपने 10 करोड़ रुपए वापस पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। ये रुपए इस वर्ष की शुरुआत में उनके द्वारा विदेश जाने से पहले जमानत राशि के तौर पर जमा कराए गए थे। उन्होंने इसे वापस रिफंड कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। हालाँकि, भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने उनकी याचिका खारिज़ कर दी।
कार्ति चिदंबरम की दलील थी कि उन्हें ये रुपए वापस किए जाने चाहिए क्योंकि वो बताई गई तारीख पर विदेश से वापस लौट आए। कॉन्ग्रेस के नव-निर्वाचित सांसद कार्ति चिदंबरम का प्रतिनिधित्व कर रहे उनके काउंसल को जस्टिस गोगोई ने कहा, “अपने संसदीय क्षेत्र पर ध्यान दीजिए।” कार्ति के ख़िलाफ़ सरकारी एजेंसियाँ जाँच चला रही हैं और इससे पहले वह 2 बार अदालत से विदेश जाने की इज़ाज़त माँग चुके हैं।
“Pay attention to your Constituency”, Supreme Court dismisses plea by Karti Chidambaram for refund of security deposit @KartiPC https://t.co/npmdO4feVm
— Bar & Bench (@barandbench) May 29, 2019
इससे पहले जनवरी 2019 में कार्ति चिदंबरम ने फरवरी और मार्च में विदेश दौरे की इजाज़त माँगी थी। इसके बाद अप्रैल में उन्होंने फिर से इजाज़त माँगी कि उन्हें मई व जून में विदेश जाने दिया जाए। मई के शुरुआत में उन्होंने अपने द्वारा डिपोजिट की गई राशि वापस पाने के लिए याचिका दाखिल की। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष कार्ति चिदंबरम की तरफ़ से दलील दी गई थी कि उन्होंने क़र्ज़ लेकर सिक्यूरिटी डिपोजिट की व्यवस्था की थी। उन्होंने अदालत को कहा था कि उन्हें उस कर्ज़े का ब्याज भी देना पड़ रहा है।