क्या विनायक दामोदर सावरकर एक देशभक्त नहीं थे? जहाँ ब्रिटिश राज में कई ऐसे भी नेता थे जिन्हें जेल में कई प्रकार की सुविधाएँ दी जाती थीं, वीर सावरकर को अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में ऐसे जेल में रखा गया था, जिसे कालापानी की सजा की संज्ञा दी गई थी और जहाँ तरह-तरह की यातनाएँ भी दी जाती थीं। अब राजस्थान सरकार की नज़र में वीर सावरकर देशभक्त नहीं थे। राज्य सरकार द्वारा वीर सावरकर को ‘ब्रिटिश से माफ़ी माँगने वाला’ बताया गया है और उनके योगदानों से छेड़छाड़ की गई है। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस की सरकार चल रही है और सत्ता में आते ही ऐसे कई बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे भाजपा को नीचा दिखाया जा सके, लेकिन इस चक्कर में स्वतंत्रता सेनानियों का भी अपमान किया जा रहा है।
राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने अपनी सरकार के इस निर्णय को सही ठहराते हुए कहा, “पाठ्यक्रम की पुस्तकों में वीर सावरकर जैसे लोगों की प्रशंसा की गई थी, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं दिया। जब हमारी सरकार ने सत्ता संभाली, तब पुस्तकों में पढ़ाई जा रहीं इन चीजों का विश्लेषण करने के लिए एक समिति बनाई गई, जिसके बाद पुख्ता सबूतों के आधार पर ये बदलाव किए गए।” विडंबना यह कि शिक्षा मंत्री ने अपने बयान में सावरकर के नाम के साथ ‘वीर’ विशेषण भी प्रयोग किया और यह भी कहा कि देश को स्वतंत्र कराने में उनका कोई योगदान नहीं है। बता दें कि अंग्रेजों से लगातार लड़ते रहने के कारण और कालापानी की कठिन सजा झेलने के कारण सावरकर को वीर कहा जाता है। सावरकर प्रखर हिंदूवादी थे।
भाजपा सरकार के दौरान वीर सावरकर वाले पाठ में उन्हें एक महान स्वतन्त्रता सेनानी बताते हुए उनके क्रन्तिकारी जीवन पर प्रकाश डाला गया था। भाजपा की पिछली सरकार द्वारा तय किए गए पाठ्यक्रम में मुगल शासकों को सामूहिक हत्यारा कहा गया था और हिंदू शासकों के युद्धों को विशेष रूप से वर्णित किया गया था। कॉन्ग्रेस ने राज्य में सत्ता में आने के साथ ही घोषणा की थी कि भाजपा द्वारा तय किए गए पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाएगा। छात्रों को जो नई पुस्तकें दी जा रही हैं, उनमें वीर सावरकर की जीवनी में इस बात को जोड़ दिया गया है कि सेल्यूलर जेल में अंग्रेजों की यातनाओं से वह इतने तंग आ गए थे कि उन्होंने 4 बार अंग्रेजों से माफ़ी माँगी थी। आगे बताया गया है कि बाद में सावरकर अंग्रेजों के साथ काम करने के लिए तैयार भी हो गए थे।
Rajasthan Education Min, GS Dotasara: People like Veer Savarkar who didn’t have any contribution to independence movement were glorified in books, when our govt came to power, committee was formed that analysed things&now whatever is in books, it’s based on solid evidence. pic.twitter.com/aOSuruzx9I
— ANI (@ANI) May 13, 2019
भाजपा नेताओं ने सावरकर वाले पाठ के साथ छेड़छाड़ करने पर आक्रोश जताया है। राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सावरकर को केवल और केवल राजनीतिक फायदों के लिए पाठ्यक्रम में काफ़ी मजबूती से पेश किया गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए सावरकर को महान बताया था। इससे पहले छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर चल रही योजनाओं के नाम बदलने को लेकर भी ख़बरों आई थी। सरकारी डाक्यूमेंट्स पर लगे उनके फोटोज भी हटा दिए गए थे।