कट्टरपंथी संगठन PFI के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। बिहार की राजधानी पटना में उनकी रैली पर हमले की साजिश रची जा रही थी। ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ के गिरफ्तार सदस्यों से पूछताछ के दौरान ये खुलासा हुआ है। 12 जुलाई, 2022 (मंगलवार) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा के शताब्दी समरोह में पहुँचे थे। उस समय राज्य में नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा के गठबंधन की सरकारी थी।
ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने PFI नेता सफीके पाएथ से पूछताछ के बाद ये खुलासा किया है। संगठन ने इसके लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था, जिसमें ट्रेनिंग दी गई थी कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में कैसे हिंसा करनी है। साथ ही पोस्टरों-बैनरों के साथ कार्यक्रम को बाधित करने के लिए भी साजिश रची गई थी। आतंक की फंडिंग के लिए संगठन ने पिछले कुछ वर्षों में 120 करोड़ रुपए जुटाए थे, जिनमें से अधिकतर रकम कैश में थी।
इस रकम से देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जाना था। कई राज्यों और यहाँ तक कि विदेश से भी इसके लिए धन आया था। 15 राज्यों के 93 ठिकानों पर छापेमारी के बाद पुलिस और जाँच एजेंसियाँ इस संगठन की कमर तोड़ने में लगी हुई है। ED के साथ-साथ ‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA)’ और कई राज्यों की पुलिस इसमें शामिल है। अब तक इसके 106 कार्यकर्ता गिरफ्तार किए जा चुके हैं। NIA ने आतंकी गतिविधियों को लेकर संगठन के खिलाफ 5 मामले दर्ज किए हैं।
अक्टूबर 2013 में भाजपा के तत्कालीन प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की पटना में हुई रैली के दौरान बिहार की राजधानी में हुए सिलसिलेवार बम ब्लास्ट की घटनाएँ आज भी लोगों के जेहन में ताज़ा हैं। ‘इंडियन मुजाहिद्दीन’ और सिमी के आतंकियों ने इसे अंजाम दिया था। सिमी के कई लोग आज PFI में शामिल हैं। दिल्ली से संगठन के नेताओं परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत को गिरफ्तार किया गया है। कट्टरपंथी संगठन के खिलाफ 2018 से ही मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है।