कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा के करीबी संजय भंडारी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज 14 ठिकानों पर छापेमारी की है। गौरतलब है कि ईडी संजय भंडारी को भगोड़ा घोषित करवाने के लिए कोर्ट में अर्जी लगा चुकी है।
अधिकारियों ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार (अगस्त 07, 2020) को भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए 75 बेसिक ट्रेनर विमानों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विभिन्न शहरों में कई परिसरों पर छापे मारे हैं। उन्होंने कहा कि एजेंसी दिल्ली में एक दर्जन, गुड़गाँव और सूरत में एक-एक सहित कम से कम 14 परिसरों को कवर कर रही है।
#Breaking | Big development in the Pilatus Aircraft scam: ED (@dir_ed) conducts raids in 14 different locations (Delhi, Gurugram & Surat) linked to Robert Vadra’s aide Sanjay Bhandari.
— TIMES NOW (@TimesNow) August 7, 2020
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क्या है मामला
संजय भंडारी के खिलाफ CBI ने जून 2019 में एयरफोर्स को 75 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट दिलाने के नाम पर कमीशन लेने के आरोप का मामला दर्ज किया गया था। आरोप था कि संजय भंडारी ने अपनी कंपनी Offset India Solutions Pvt Ltd के जरिए ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट देने वाली कंपनी Pilatus Aircrats Ltd के साथ मिलकर ये कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया। बदले में Pilatus ने संजय भंडारी को 350 करोड़ रुपए दिए।
मामला प्रकाश में तब आया था जब उपरोक्त सौदे के लिए Pilatus Aircrats Ltd की निकटतम प्रतिद्वंद्वी रही दक्षिण कोरियाई कंपनी कोरिया एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ ने पिलैटस को यह करार दिए जाने के खिलाफ तत्कालीन यूपीए सरकार से विरोध दर्ज कराया था। उनका दावा था कि पिलैटस की बोली के दस्तावेज़ अधूरे थे, और इसलिए उसे मिला हुआ करार रद्द होना चाहिए।
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने इस मामले में भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी से बात की थी और उनसे इस निर्णय पर पुनर्विचार का आग्रह किया था। लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला, और अंत में यह अनुबंध पिलैटस को ही दिया गया था।
गौरतलब है कि 2008 से 2012 की अवधि में, हथियार डीलर संजय भंडारी कॉन्ग्रेस सरकार के तहत सक्रिय रूप से अपने ‘बिज़नेस’ के लिए वापसी कर रहे थे और दसाँ (Dassault) के ऑफ-सेट पार्टनर बनने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास भी कर रहे थे। दसाँ ने संजय भंडारी के ऑफ-सेट पार्टनर बनने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
हालाँकि, भूमि सौदे को स्वीकार करते हुए, कॉन्ग्रेस ने राहुल गाँधी को भूमि के विक्रेता एचएल पाहवा के साथ संबंधों पर चुप्पी ही साध रखी है।