प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (19 नवंबर, 2021) की सुबह गुरु पर्व के मौके पर ऐलान किया कि इस महीने के अंत तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया पूरा कर लेगी। इसके बाद उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपने घर लौटने और आंदोलन खत्म करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हित के लिए कानून बनाने के लिए एक कमेटी बनाएगी।
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने किसानों के फायदे के लिए उचित विचार-विमर्श करने के बाद ही इस कानून को पेश किया था, लेकिन शायद यह सरकार की कमी थी कि वह किसानों को इस कानून के फायदे समझा पाने में विफल रही। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने भी इन कानूनों पर विचार किया था, लेकिन इसे भाजपा सरकार ने लागू किया। सरकार द्वारा सभी फैसले देशहित में लिए गए हैं।
पीएम मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों के वापस लेने की घोषणा के बाद प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कई लोगों ने जहाँ किसानों को लेकर सरकार के फैसले की सराहना की है, वहीं अन्य लोगों ने किसानों के एक वर्ग द्वारा सोची-समझी साजिश के तहत कानून वापस लेने के लिए किए गए विरोध प्रदर्शन की आलोचना की। बीजेपी की पंजाब इकाई ने पीएम मोदी की घोषणा का समर्थन करते हुए कहा, “इससे सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने और साजिश को विफल करने में मदद मिलेगी।”
बीजेपी पंजाब यूनिट ने पीएम मोदी की घोषणा का समर्थन किया
पंजाब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा कि वह मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसले से खुश हैं। ऑपइंडिया से बात करते हुए शर्मा ने पीएम मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने का निर्णय केवल पीएम मोदी जैसे बेहतर समझ रखने वाले नेता ही ले सकते थे। शर्मा ने कहा कि पीएम मोदी की कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा से सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने और उन लोगों की साजिश को विफल करने में मदद मिलेगी, जो पंजाब में विभिन्न समुदायों के बीच दरार पैदा करना चाहते थे।
पंजाब बीजेपी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का स्वागत करते हुए कहा, ”कृषि कानून किसानों का जीवन बेहतर बनाने के उद्देश्य से लाए गए थे, लेकिन वे किसान प्रदर्शनकारियों के एक गुट को इसके लाभ समझाने में सफल नहीं हो सके।” पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अनिल सरीन ने पीएम मोदी की घोषणा की सराहना करते हुए कहा कि यह फैसला देश के व्यापक हित में लिया गया है।
सरीन ने ऑपइंडिया को बताया, ”हम पीएम मोदी और केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे, लेकिन दुर्भाग्य से हम प्रदर्शनकारियों के एक छोटे से वर्ग को उनके फायदे समझा पाने में विफल रहे। हम आभारी हैं कि पीएम मोदी ने देश के व्यापक हित में कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।”
पंजाब में पीएम मोदी की घोषणा का स्वागत किया गया
कुछ नेताओं ने कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए निर्णय का संदर्भ दिया। अबोहर से भाजपा के विधायक अरुण नारंग पर इस साल की शुरुआत में किसानों के विरोध प्रदर्शन में मौजूद असामाजिक तत्वों ने हमला कर दिया था। उन्होंने शुक्रवार की सुबह पीएम मोदी द्वारा की गई घोषणा के बारे में ऑपइंडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के रद्द होने से किसानों के कुछ वर्गों द्वारा विरोध प्रदर्शनों में सरकार के खिलाफ फैलाए गए दुष्प्रचार को खत्म किया जा सकेगा। साथ ही हिंदुओं और सिखों के बीच मतभेदों को दूर किया जा सकेगा।
बता दें कि पिछले साल मार्च में पंजाब के मलौत शहर में किसानों के एक गुट ने बीजेपी विधायक अरुण नारंग के साथ मारपीट की थी। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें भी वायरल हुई थीं। मौके पर मौजूद पुलिस और भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें बचाया था। अपने पिछले अनुभवों के बावजूद नारंग ने किसानों के खिलाफ कोई नाराजगी नहीं जताई और सरकार द्वारा कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले का स्वागत किया।
उन्होंने कहा, “इस फैसले से पंजाब और देश को फायदा होगा। जैसा कि पीएम मोदी ने कहा है कि आगे इससे संबंधित कानून बनाने के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी और हमें उनके फैसले पर भरोसा करना चाहिए।” यह पूछे जाने पर कि क्या यह कदम हिंसक तत्वों को मजबूत करेगा, उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार लोगों की आवाज नहीं दबाती है।
नारंग ने आगे कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च होती है और उन्हें लोगों की माँगों को लेकर चलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह ऐसे कॉन्ग्रेसी नेताओं के मुँह पर तमाचा साबित होगा, जो लोगों को भड़का रहे हैं। यह साबित करता है कि मोदी सरकार लोगों के लिए है और आम आदमी की आवाज सुनती है।
नारंग की तरह भाजपा नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल को भी इस साल की शुरुआत में किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा था। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे गुस्साए प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने उनके खेत की फसल को रौंद दिया था, लेकिन ग्रेवाल के मन में भी प्रदर्शनकारियों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी। उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने के पीएम मोदी के फैसले की सराहना की।
मालूम हो कि जुलाई 2021 में पंजाब के बरनाला में तथाकथित किसानों ने बीजेपी नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल के खेत में घुसकर रोपी हुई फसल को उखाड़कर फेंक दिया था। इतना ही नहीं, किसानों ने ट्रैक्टर से जमीन भी जोत डाली थी। इस दौरान उन्होंने बीजेपी विरोधी नारे भी लगाए थे। बीजेपी नेता ने पंजाब के डीजीपी से इस मामले की शिकायत की थी।
ऑपइंडिया से बात करते हुए ग्रेवाल ने कहा, “मैं सरकार द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करता हूँ। कृषि कानून किसानों के पक्ष में थे, जिसकी श्री स्वामीनाथन ने भी प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा कि कानूनों में उनकी समिति की सिफारिशों का 80 प्रतिशत हिस्सा शामिल था, लेकिन किसानों की माँगों को मानते हुए सरकार ने उन्हें वापस ले लिया। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। आपको दूसरों का ध्यान रखना होता है। उनकी अस्वीकृति को नजरअंदाज नहीं करना होता, चाहे वह पथ कितना भी भ्रष्ट क्यों न हो। लेकिन, लोगों को भी लोकतंत्र का सम्मान करना चाहिए।”
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रवीण बंसल के अनुसार, किसानों का एक हिस्सा कृषि कानूनों का विरोध कर रहा था। यह देखते हुए पीएम मोदी द्वारा कानूनों को वापस लेने का निर्णय लेना महत्वपूर्ण है। यह निर्णय दर्शाता है कि देश के प्रधानमंत्री उन लोगों के प्रति संवेदनशील और विचारशील हैं, जो तीन कृषि कानूनों के लागू होने से प्रसन्न नहीं थे।
बंसल ने ऑपइंडिया को बताया, “हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। इससे पता चलता है कि नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के लाभ के लिए काम करना चाहती है। किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए केंद्र उनके साथ चर्चा करेगा।”
“कैप्टन अमरिंदर सिंह जीत गए और भाजपा आज हार गई”
हालाँकि, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले से खुश नहीं थे। भाजपा प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरन ने कानूनों को निरस्त किए जाने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें इन कानूनों को निरस्त ही करना था, तो इसे लागू ही नहीं करना चाहिए था। उन्होंने कहा, “कृषि कानून जल्दबाजी में लागू किए गए थे और जल्द ही इसे निरस्त भी कर दिया गया।”
उन्होंने आगे कहा, “एक मजबूत प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मजबूत लोकतंत्र में इस तरह से चीजें नहीं होनी चाहिए। उन्हें ऐसी पार्टी के सामने नहीं झुकना चाहिए, जिसने पिछले 70 सालों में देश को कुछ नहीं दिया। अगर वे कानून निरस्त करना चाहते थे तो उन्हें इसे बहुत पहले कर देना चाहिए था। यह उन भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय है, जिन्होंने असामाजिक तत्वों का आक्रोश झेला है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी सरकार बाद में कृषि कानून वापस लाएगी, उन्होंने कहा कि इसकी बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि अब किसानों के हित के लिए कोई कदम उठाया जाएगा। अगर पीएम मोदी नहीं कर पाए तो कौन करेगा? किसी और का इरादा नहीं है कि वह ऐसा कर पाएगा। लोगों को उनसे ज्यादा ईमानदार पीएम नहीं मिलेगा। अगर वह ऐसा नहीं कर सके तो कोई और भी नहीं कर पाएगा।”
उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि वह चाहते हैं कि उनका पूरा बयान छापा जाए, क्योंकि उन्हें पार्टी की नहीं बल्कि देश की चिंता है। उन्होंने कहा, “कैप्टन अमरिंदर की जीत हुई है और प्रदेश में भाजपा हार गई है।” उन्होंने आगे कहा, ”मुझे पार्टी से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ताओं की चिंता है। आज पंजाब में ऐसे हालात हो गए हैं कि भाजपा नेताओं की बेटियों का बहिष्कार किया जा रहा है। कोई हमारी बेटियों से शादी नहीं करना चाहता। कानून बनाने या कानून को निरस्त करने से पहले उन्हें कार्यकर्ताओं से बात करनी चाहिए थी। अगर पार्टी कार्यकर्ता उनके साथ हैं तो उनके लिए चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन आज पार्टी के नेता कार्यकर्ताओं के साथ बिल्कुल भी नहीं हैं।”