प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) ने शुक्रवार (10 दिसंबर 2021) को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन (Joe biden) द्वारा आयोजित ‘लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन’ में भाग लिया और कहा कि भारत विश्व स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए भागीदारों के साथ काम करने के लिए तैयार है। पीएम ने कहा कि लोकतंत्र की भावना हमारी सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है और भारत में लोकतंत्र रहा है और आगे भी रहेगा।
इसके साथ ही पीएम ने समिट फॉर डेमोक्रेसी (Summit for democracy) के मंच से दुनिया को भारत में लोकतंत्र की प्राचीनता से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि 2,500 साल पहले भारत में लिच्छवि और शाक्य वंश (Licchavi and shakya dynasty) के दौरान विकसित अवस्था में था। इसी तरह की लोकतांत्रिक व्यवस्था प्राचीन भारत में 10वीं सदी के दौरान उत्तिरमेरु शिलालेख में मिला था। भारत की ये प्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ सर्वाधिक संपन्न सभ्यताओं में से एक थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की प्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था को सदियों का औपनिवेशिक शासन डिगा नहीं सका।
PM Shri @narendramodi‘s remarks at The Summit for Democracy.
— BJP (@BJP4India) December 10, 2021
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स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति देश को फिर से मिली और लोकतांत्रिक राष्ट्र के निर्माण में बीते 75 सालों से अद्वितीय कहानी सामने रखी। उन्होंने इसे सभी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक समावेश की कहानी बताया और कहा कि भारतीय लोकतंत्र स्वास्थ्य, शिक्षा और मानव जीवन में निरंतर सुधार की कहानी है, जिसकी कल्पना कर पाना मुश्किल है। पीएम ने कहा कि भारत ने दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि लोकतंत्र दे सकता है, लोकतंत्र ने दिया है और लोकतंत्र ने देना जारी रखा है।
पीएम मोदी ने ये भी कहा कि देश में बहुदलीय चुनाव, स्वतंत्र न्यायपालिका और फ्री मीडिया के ढाँचे लोकतंत्र के महत्वपूर्ण उपकरण हैं। लोकतंत्र की मूल भावना और ताकत हमारे नागरिकों और समाज में समाया हुआ है।
गौरतलब है कि इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिका की ओर से दुनियाभर के 110 देशों को आमंत्रित किया गया था। इसमें पाकिस्तान भी शामिल था। लेकिन बाद में वह खुद ही इससे बाहर हो गया था। हालाँकि, चीन और रूस को इस सम्मलेन में शामिल होने के लिए कहा ही नहीं गया था।