लोकसभा चुनाव 2024 के 4 चरणों के लिए मतदान हो चुका है। 1 जून, 2024 को देश लोकसभा के अंतिम चरण के लिए मतदान करेगा और इसी के साथ 543 सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत EVM बक्से में बंद हो जाएगी। 1 जून के बाद देश को 4 जून की प्रतीक्षा होगी। यही वह तारीख होगी जो बताएगी कि देश की राजनीती का ऊँट किस करवट बैठा है। पीएम मोदी और भाजपा सरकार लोकप्रियता की बयार में एक बार फिर विपक्ष बहा है कुछ बदलाव के संकेत हैं।
2014: सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
राजनीति में तारीखों का बड़ा महत्व होता है, और इन्हीं तारीखों में अगर 10 साल पीछे चलें तो आज ही के दिन यानि 16 मई, 2014 को 16वीं लोकसभा के चुनावी नतीजे आए थे। दस साल पहले 16 मई, 2014 को सुबह 11 बजे ही ये साफ हो गया था कि सत्ता का पांसा पलट गया है। सत्ता एक परिवार के हाथों से छिनने जा रही रही है। देश का प्रधानमंत्री किसी राजनीतिक परिवार की दयादृष्टि से नहीं बल्कि जनता की मर्जी से चुना हुआ एक साधारण पृष्ठभूमि का व्यक्ति बनने वाला है।
16 मई, 2014 को जब 16वें लोकसभा चुनाव के परिणाम जब दोपहर तक घोषित हुए तो भाजपा को ऐतिहासिक विजय का ताज जनता ने पहना दिया था। बीजेपी पहली बार अपने दम पर बहुमत का स्पष्ट आँकड़ा पार करते हुए 282 सीटों तक पहुँच चुकी थी। अटल युग में भी बीजेपी सत्ता के शीर्ष तक पहुँची थी लेकिन अपने दम पर 200 का आँकड़ा भी पर नहीं कर पाई थी।
2004 के बाद से 10 साल तक सत्ता से बाहर रहने वाली बीजेपी ने 2013 में घोटालों और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के दावेदार के रूप में पेश किया था। उनके करिश्माई व्यक्तित्व ने जनता में ‘मोदी लहर’ चला दी। मोदी ने खुद के लिए गुजरात के वडोदरा के साथ वाराणसी को चुनाव क्षेत्र के रूप में चुना और जनता ने ना सिर्फ उन्हें, बल्कि NDA को भारी बहुमत से जिताकर उनका प्रधानमंत्री बनना तय कर दिया।
काशी से गूँजे नाद ‘घर-घर मोदी, हर-हर मोदी’ ने देश में मोदी लहर कायम रखा, परिणाम स्वरुप नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा न केवल अपने दम पर बहुमत पाने में कामयाब रही बल्कि तीन दशकों में स्पष्ट जनादेश हासिल करने वाली पहली पार्टी बनी।
2014 के लोकसभा चुनाव की एक और ख़ास बात रही कि लगभग 50 साल तक शासन पर काबिज और एक दशक से लगातार सत्ता पर काबिज कॉन्ग्रेस 2014 में सिमटकर महज 44 सीटों की पार्टी बन गई। यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस की इतनी भी हैसियत नहीं रही कि उसे नेता-प्रतिपक्ष का पद हासिल हो सके। ऐसी शर्मनाक हार के बारे में शायद ही कभी कॉन्ग्रेस ने सोचा होगा।
2019: जनता ने बोला- शो मस्ट गो ऑन
भाजपा ने भी जनता से मिले इस बहुमत का बखूबी इस्तेमाल किया और अगले पाँच सालों में मूलभूत परिवर्तन देश की स्थिति में लाई। पहली बार देश ने देखा कि करोड़ों बैंक खाते कुछ महीने में ही खोले जा सकते हैं, करोड़ों घर कुछ साल में ही बन सकते हैं और करोड़ों घरों तक बिना किसी देरी के गैस सिलेंडर पहुँच सकता है।
282 के इस आँकड़े ने भाजपा को वह ताकत दी कि वह दशकों से लटके GST जैसे बिल को पास करवा पाई। जनता ने पहली बार देखा कि इस देश में करोड़ों लाभार्थियों तक बिना किसी भ्रष्टाचार के दिल्ली से पैसा पहुँच सकता है। भाजपा ने इस इस दौरान उस दौरान उस ढाँचे की नीँव रखी जिसमें आगे अनुच्छेद 370, राम मंदिर और CAA जैसे मुद्दों को लेकर इमारत तैयार होनी थी। भाजपा ने इन पाँच साल का इस्तेमाल देश को मजबूत करने में किया ही, साथ ही वह इस दौरान ऐसी चुनाव जिताऊ मशीन बन गई, जिसके आगे विपक्ष धराशायी हो गया।
2019 के लोकसभा चुनावों के परिणाम इन सभी बातों पर मुहर लगाते हैं कि भाजपा का पहला कार्यकाल अभूतपूर्व बदलाव वाला रहा। इसकी पुष्टि 23 मई, 2024 को 17वीं लोकसभा परिणामों ने कर दी। पहली बार भारतीय लोकतंत्र में कॉन्ग्रेस के अलावा किसी पार्टी ने 300 का आँकड़ा पार किया। भाजपा को 303 सीट मिलीं। हर चुनाव को पीएम मोदी की लोकप्रियता का लिटमस टेस्ट बता देने वाले वामपंथी और लिबरल गैंग के मुँह पर भी इन परिणामों ने ताले जड़ दिए।
जहाँ भाजपा को 2019 में एक बार फिर बड़ा बहुमत मिला तो वहीं कॉन्ग्रेस समेत पूरे विपक्ष की हालत में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। कॉन्ग्रेस ने पाँच सालों में मात्र 8 सीटों की बढ़त हासिल की। वह 2014 में जहाँ 44 पर रही थी, वहीं 2019 में 52 पर पहुँची। लेकिन 2014 से भी बड़ा झटका 2019 में कॉन्ग्रेस को लगा जब उसके बड़े नेता राहुल गाँधी को अमेठी में भाजपा नेता स्मृति ईरानी के हाथों हार झेलनी पड़ी।
4 जून, 2024: इशारे तीसरे कार्यकाल के
2014 और 2019 में बड़ी जीत हासिल करने के बाद 2024 में भाजपा ने लक्ष्य रखा कि वह इस बार 370 का आँकड़ा लोकसभा में पार करेगी। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा 10 साल शासन के पूरे कर रही है। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि जैसा माहौल 2013-14 में कॉन्ग्रेस के 10 वर्षों के शासन के बाद बना था, वह इस बार नहीं दिखता। ना ही कोई भ्रष्टाचार के मामले भाजपा सरकार के सामने टिके हैं, ना ही देश में जनलोकपाल बिल जैसा कोई आन्दोलन खड़ा हुआ है।
यहाँ तक कि जनता भी भाजपा से संतुष्ट है और राजनीतिक पंडितों की भाषा में जिसे ‘फटीग फैक्टर’ यानी जी ऊब जाना कहते हैं, वह भी इस सरकार के खिलाफ नहीं दिखता। 24, अकबर रोड में श्रद्धा रखने वाले कुछ इक्का-दुक्का पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश का अनुमान है कि भाजपा और नरेन्द्र मोदी एक बड़ी जीत के साथ फिर से दिल्ली में वापसी कर रहे हैं।
भाजपा अपनी जीत को लेकर कितनी आश्वस्त है, इसकी बानगी हाल ही में बंगाल में दिया गया अमित शाह का एक बयान है। अमित शाह ने बंगाल में आयोजित एक जनसभा में कहा,”देश में 380 सीटों पर चुनाव हो गया है, इन 380 सीटों में से पीएम मोदी 270 सीट पाकर बहुमत का आँकड़ा पार कर चुके हैं। आगे की लड़ाई 400 पार करने की है।”
कुल मिलाकर यह साफ़ दिखता है कि इस बार के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा ने अपना प्रभाव कायम रखा है। विपक्ष के सभी वार खाली जा रहे हैं। फिर भी अंतिम परिणाम क्या होगा इसका पता 4 जून, 2024 को देश जानेगा।