प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाचार एजेंसी IANS को इंटरव्यू दिया है। इस दौरान उन्होंने मीडिया एजेंसी की तारीफ भी की। जब उनसे पूछा गया कि आजकल राहुल गाँधी और अरविंद केजरीवाल को पाकिस्तान से इतना समर्थन क्यों मिल रहा है, तो उन्होंने कहा कि चुनाव भारत का है और भारत का लोकतंत्र बहुत ही परिपक्व है, तंदरुस्त परंपराएँ हैं और भारत के मतदाता भी बाहर की किसी भी हरकतों से प्रभावित होने वाले मतदाता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पता नहीं है कि कुछ ही लोग हैं जिनको हमारे साथ दुश्मनी रखने वाले लोग क्यों पसंद करते हैं, कुछ ही लोग हैं जिनके समर्थन में आवाज वहाँ से क्यों उठती है।
पीएम मोदी ने कहा कि अब ये बहुत बड़ी जाँच-पड़ताल का यह गंभीर विषय है, उन्हें नहीं लगता है कि वो जिस पर पर बैठे हैं वहाँ से ऐसे विषयों पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए, लेकिन वो इस चिंता को समझते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम और जनता का लूटा हुआ पैसा वापस पहुँचने के मुद्दे पर IANS से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के लोग भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं, दीमक की तरह भ्रष्टाचार देश की सारी व्यवस्थाओं को खोखला कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के लिए आवाज भी बहुत उठती है। उन्होंने याद किया कि जब वो 2013-14 में चुनाव के समय भाषण देते थे और भ्रष्टाचार की बातें बताते थे तो लोग अपना रोष व्यक्त करते थे। लोग चाहते थे कि हाँ, कुछ होना चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि 2014 के बाद व्यवस्थागत तरीके से उन चीजों को करने पर बल दिया कि सिस्टम में ऐसे कौन से दोष हैं अगर देश पॉलिसी ड्रिवन है और ब्लैक एंड व्हाइट में चीजें उपलब्ध हैं कि भई ये कर सकते हो ये नहीं कर सकते हो।
उन्होंने कहा कि ग्रे एरिया मिनिमल हो जाता है जब ब्लैक एंड व्हाइट में पॉलिसी होती है और उसके कारण डिसक्रिमिनेशन के लिए कोई संभावना नहीं होती है, तो हमने एक तो पॉलिसी ड्रिवन गवर्नेंस पर बल दिया। उन्होंने बताया कि दूसरा हमने स्कीम्स के सैचुरेशन पर बल दिया कि भई 100% जो स्कीम जिसके लिए है उन लाभार्थियों को 100%, जब 100% है तो लोगों को पता है मुझे मिलने ही वाला है तो वो करप्शन के लिए कोई जगह ढूँढेगा नहीं।
पीएम मोदी ने कहा कि करप्शन करने वाले भी कर नहीं सकते क्योंकि वो कैसे-कैसे कहेंगे, हाँ हो सकता है कि किसी को जनवरी में मिलने वाला मार्च में मिले या अप्रैल में मिले ये हो सकता है लेकिन उसको पता है कि मिलेगा और मेरे हिसाब से सैचुरेशन करप्शन फ्री गवर्नेंस की गारंटी देता है। बकौल प्रधानमंत्री, सैचुरेशन सोशल जस्टिस की गारंटी देता है और सैचुरेशन सेकुलरिज्म की गारंटी देता है। उन्होंने कहा कि ऐसे त्रिविध फायदे वाली हमारी दूसरी स्कीम, तीसरा मेरा प्रयास रहा कि मैक्सिमम टेक्नोलॉजी का उपयोग करना।
पीएम मोदी ने कहा कि टेक्नोलॉजी में भी हुआ, क्योंकि रिकॉर्ड मेंटेन होते हैं, ट्रांसपेरेंसी रहती है। उन्होंने जानकारी दी कि अब डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर में 38 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। साथ ही उन्होंने याद किया कि अगर राजीव गांधी के जमाने की बात करें कि एक रुपया जाता था तो 15 पैसा पहुँचता था तो 38 लाख करोड़ तो हो सकता है 25-30 लाख करोड़ रुपया ऐसे ही गबन हो जाते तो हमने टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया है।
पीएम मोदी ने कहा कि जहाँ तक करप्शन का सवाल है देश में पहले क्या आवाज उठती थी कि भई करप्शन तो हुआ लेकिन उन्होंने किसी छोटे आदमी को सूली पर चढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि सामान्य रूप से मीडिया में भी चर्चा होती थी कि बड़े-बड़े मगरमच्छ तो छूट जाते हैं, छोटे-छोटे लोगों को पकड़कर आप चीजें निपटा देते हो। पीएम ने कहा कि फिर एक कालखंड ऐसा आया कि हमें पूछा जाता था 19 के पहले कि आप तो बड़ी-बड़ी बातें करते थे क्यों कदम नहीं उठाते हो, क्यों अरेस्ट नहीं करते हो, क्यों लोगों को ये नहीं करते हो।
उन्होंने याद किया कि हम कहते थे भई ये हमारा काम नहीं है, ये स्वतंत्र एजेंसी कर रही है और हम बदइरादे से कुछ नहीं करेंगे। जो भी होगा हमारी सूचना यही है जीरो टोलरेंस दूसरा तथ्यों के आधार पर ये एक्शन होना चाहिए, परसेप्शन के आधार पर नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि तथ्य जुटाने में मेहनत करनी पड़ती है, अब अफसरों ने मेहनत भी की अब मगरमच्छ पकड़े जाने लगे हैं तो हमें सवाल पूछा जा रहा है कि मगरमच्छों को क्यों पकड़ते हो।
पीएम मोदी ने कहा, “ये समझ में नहीं आता है कि ये कौन सा गैंग है, खान मार्केट गैंग जो कुछ लोगों को बचाने के लिए इस प्रकार के नैरेटिव गढ़ती है। पहले आप ही कहते थे छोटों को पकड़ते हो बड़े छूट जाते हैं। जब सिस्टम ईमानदारी से काम करने लगा, बड़े लोग पकड़े जाने लगे तब आप चिल्लाने लगे हो। दूसरा पकड़ने का काम एक इंडिपेंडेंट एजेंसी करती है। उसको जेल में रखना कि बाहर रखना, उसके ऊपर केस ठीक है या नहीं है ये न्यायालय तय करता है उसमें मोदी का कोई रोल नहीं है, इलेक्टेड बॉडी का कोई रोल नहीं है लेकिन आजकल मैं हैरान हूँ। दूसरा जो देश के लिए चिंता का विषय है वो भ्रष्ट लोगों का महिमामंडन है। हमारे देश में कभी भी भ्रष्टाचार में पकड़े गए लोग या किसी को आरोप भी लगा तो लोग 100 कदम दूर रहते थे। आजकल तो भ्रष्ट लोगों को कंधे पर बिठाकर नाचने की फैशन हो गई है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि तीसरा प्रॉब्लम है जो लोग कल तक जिन बातों की वकालत करते थे आज अगर वही चीजें हो रही हैं तो वो उसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि पहले तो वही लोग कहते थे सोनिया जी को जेल में बंद कर दो, फलाने को जेल में बंद कर दो और अब वही लोग चिल्लाते हैं। पीएम मोदी का मानना है कि जैसे मीडिया का काम है कि लोगों से पूछे कि बताइए छोटे लोग जेल जाने चाहिए या मगरमच्छ जेल जाने चाहिए। पूछो जरा पब्लिक को क्या ओपिनियन है, ओपिनियन बनाइए आप लोग।
गरीबी हटाने की योजनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश में जो नैरेटिव गढ़ने वाले लोग हैं उन्होंने देश का इतना नुकसान किया। उन्होंने कहा कि पहले चीजें बाहर से आती थी तो कहते थे देखिए देश को बेच रहे हैं सब बाहर से लाते हैं। आज जब देश में बन रहा है तो कहते हैं देखिए ग्लोबलाइजेशन का जमाना है और आप लोग अपने ही देश की बातें करते हैं। बकौल पीएम मोदी, वो ये समझ नहीं पा रहे हैं कि देश को इस प्रकार से गुमराह करने वाले इन ऐलिमेंट्स से देश को कैसे बचाया जाए।
उन्होंने कहा कि दूसरी बात है अगर अमेरिका में कोई कहता है ‘Be American By American’ उसपर तो हम सीना तानकर गर्व करते हैं लेकिन मोदी कहता है वोकल फॉर लोकल तो लोगों को लगता है कि ये ग्लोबलाइजेशन के खिलाफ है, तो इस प्रकार से लोगों को गुमराह करने वाली ये प्रवृत्ति चलती है। पीएम ने कहा कि जहाँ तक भारत जैसा देश जिसके पास मैनपावर है, स्किल्ड मैनपावर है। उन्होंने कहा कि अब वो ऐसी गलती नहीं कर सकते कि गेहूँ एक्सपोर्ट करें और ब्रेड इम्पोर्ट करें, बल्कि वो तो चाहेंगे कि देश में ही गेहूँ का आटा निकले, देश में ही गेहूँ का ब्रेड बने।
प्रधानमंत्री ने समझाया कई देश के लोगों को रोजगार मिले तो उनका ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जो मिशन है उसके पीछे उनकी पहली जो प्राथमिकता है कि मेरे देश के टैलेंट को अवसर मिले। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को रोजगार मिले, देश का धन बाहर न जाए, देश में जो प्राकृतिक संसाधन हैं उनका वैल्यू एडिशन हो, देश के अंदर किसान जो काम करता है उसकी जो प्रोडक्ट है उसका वैल्यू एडिशन हो वो ग्लोबल मार्केट को कैप्चर करे और इसलिए उन्होंने विदेश विभाग को भी कहा है कि आपकी सफलता को वो तीन आधारों से देखेंगे – एक, भारत से कितना सामान आप जिस देश में हैं वहाँ पर खरीदा जाता है, दूसरा, उस देश में आधारित टेक्नोलॉजी कौन सी है जो अभी तक भारत में नहीं है, वो टेक्नोलॉजी भारत में कैसे आ सकती है, और तीसरा, उस देश में से कितने टूरिस्ट भारत भेजते हो आप, ये उनका क्राइटेरिया रहेगा।
छोटे-मोटे काम करने वाले गरीबों के संबंध में पीएम मोदी ने कहा कि भारत विविधताओं से भरा हुआ है और कोई देश एक पिलर पर बड़ा नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि एक मिशन के तहत हर डिस्ट्रिक्ट का वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट पर बल दिया, क्योंकि भारत इतना विविधता भरा देश है, हर डिस्ट्रिक्ट के पास अपनी अलग ताकत है। वो चाहते हैं कि इसको हम लोगों के सामने लाएँ और वो कभी विदेश जाते हैं तो चीजें कौन सी ले जाएँगे, वो उलझन नहीं होती है।
पीएम मोदी ने कहा कि वो सिर्फ वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट का कैटलॉग देखते हैं, तो उन्हें लगता है यूरोप जाएँगे तो यह लेकर जाएँगे, अफ्रीका जाएँगे तो यह लेकर जाएँगे। बकौल पीएम मोदी, यह एक पहलू है दूसरा हमने जी 20 समिट हिंदुस्तान के अलग-अलग हिस्से में की है। क्योंकि, दुनिया को पता चले कि दिल्ली, यही हिंदुस्तान नहीं है। उन्होंने कहा कि अब आप ताजमहल देखें तो टूरिज्म पूरा नहीं होता जी मेरे देश का, मेरे देश में इतना पोटेंशियल है, मेरे देश को जानिए और समझिए और इस बार हमने जी-20 का उपयोग भारत को विश्व के अंदर भारत की पहचान बनाने के लिए किया।
पीएम मोदी ने IANS से कहा कि दुनिया की भारत के प्रति क्यूरियोसिटी बढ़े, इसमें हमने बड़ी सफलता पाई है, क्योंकि दुनिया के करीब एक लाख नीति निर्धारक ऐसे लोग जी-20 समूह की 200 से ज्यादा मीटिंग में आए। वह अलग-अलग जगह पर गए। उन्होंने इन जगहों को देखा, सुना भी नहीं था, देखा वो अपने देश के साथ कोरिलिरेट करने लगे, वो वहाँ जाकर बातें करने लगे। पीएम मोदी ने समझाया कि जी20 के कारण लोग आजकल काफी टूरिस्टों को यहाँ भेज रहे हैं, जिसके कारण हमारे देश का टूरिज्म को बढ़ावा मिला।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि कैसे उन्होंने स्टार्टअप वालों के साथ मीटिंग की थी, वो वार्कशॉप करता था। आज से मैं 7-8 साल पहले, 10 साल पहले शुरू- शुरू में यानी 2015-16 के भीतर-भीतर जो नए स्टार्टअप की दुनिया शुरू हुई, उनकी उन्होंने ऐसे वर्कशॉप की है तो मैं अलग-अलग कभी उन्होंने स्पोर्ट्स पर्सन्स के की, कभी मैंने कोचों के साथ की कि इतना ही नहीं उन्होंने फिल्म दुनिया वालों के साथ भी ऐसी मीटिंग की।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं जानता हूँ कि वह बिरादरी हमारे विचारों से काफी दूर है। मेरी सरकार से भी दूर है, लेकिन मेरा काम था उनकी समस्याओं को समझो क्योंकि बॉलीवुड अगर ग्लोबल मार्केट में मुझे उपयोगी होता है, अगर मेरी तेलुगू फिल्में दुनिया में पॉपुलर हो सकती है, मेरी तमिल फिल्म दुनिया पॉपुलर हो सकती है। मुझे तो ग्लोबल मार्केट लेना था मेरे देश की हर चीज का। आज यूट्यूब की दुनिया पैदा हुई तो मैंने उनको बुलाया। आप देश की क्या मदद कर सकते हैं। इंफ्लुएंसर को बुलाया, क्रिएटिव वर्ल्ड, गेमिंम अब देखिए दुनिया का इतना बड़ा गेमिंग मार्केट। भारत के लोग इन्वेस्ट कर रहे हैं, पैसा लगा रहे हैं और गेमिंग की दुनिया में कमाई कोई और करता है तो मैंने सारे गेमिंग के एक्सपर्ट को बुलाया। पहले उनकी समस्याएँ समझी। मैंने देश को कहा, मेरी सरकार को मुझे गेमिंग में भारतीय लीडरशिप पक्की करनी है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना बड़ा फ्यूचर मार्केट है, अब तो ओलंपिक में गेमिंग आया है तो वो उसमें जोड़ना चाहते हैं। पीएम मोदी ऐसे सभी विषयों में एक साथ काम करने के पक्ष में मैं हैं। उसी प्रकार से देश की जो मूलभूत व्यवस्थाएँ हैं, आप उसको नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। उन्होंने समझाया कि गाँव का एक मोची होगा, सोनार होगा, कपड़े सिलने वाला होगा, वो भी देश की बहुत बड़ी शक्ति है। उसको भी उतना ही तवज्जो देना होगा। उन्होंने समझाया कि इसलिए उनकी सरकार का इंटीग्रेटेड अप्रोच होता है, कॉम्प्रिहेंसिव अप्रोच होता है, होलिस्टिक अप्रोच होता है।
‘डिजिटल इंडिया’ और मे’क इन इंडिया’ का विपक्ष द्वारा कभी मजाक बनाए जाने के सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया मूवमेंट उन्होंने शुरू किया तो शुरू में आरोप लगाए गए कि जो सर्विस प्रोवाइडर हैं, उनकी भलाई के लिए हो रहा है। बकौल पीएम मोदी, इनको समझ नहीं आया कि यह क्षेत्र कितना बड़ा है और 21वीं सदी एक टेक्नॉलॉजी ड्रिवन सेंचुरी है, टेक्नोलॉजी आईटी ड्रिवन है, आईटी इन्फोर्स बाय एआई। बहुत बड़े प्रभावी क्षेत्र बदलते जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने दूरदर्शिता का परिचत देते हुए कहा कि हमें फ्यूचरस्टीक चीजों को देखना चाहिए, आज अगर UPI न होता तो कोविड की लड़ाई हम कैसे लड़ते? दुनिया के समृद्ध देश भी अपने लोगों को पैसे होने के बावजूद भी नहीं दे पाए, हम आराम से दे सकते हैं। पीएम मोदी ने ध्यान दिलाया कि आज हम 11 करोड़ किसानों को 30 सेकंड के अंदर पैसा भेज सकते हैं, अब यूपीआई अब इतनी यूजर फ्रेंडली है तो क्योंकि यह टैलेंट हमारे देश के नौजवानों में है। वो ऐसे प्रोडक्ट बना करके देते हैं कि कोई भी कॉमन मैन इसका उपयोग कर सकता है।
बकौल पीएम मोदी, उन्होंने ऐसे कितने लोग देखे हैं जो अपना सोशल मीडिया अनुभव कर रहे हैं, उदाहरण के लिए – “छह मित्रों ने तय किया कि छह महीने तक जेब में 1 पैसा नहीं रखेंगे। अब देखते हैं क्या होता है। छह महीने पहले बिना पैसे पूरी दुनिया में हम अपना काम, कारोबार करके आ गए। हमें कोई तकलीफ नहीं हुई तो हर कसौटी पर खरा उतर रहा है।” पीएम मोदी ने इस उदाहरण के बाद बताया कि यूपीआई ने एक प्रकार से फिनटेक की दुनिया में बहुत बड़ा रोल प्ले किया है और इसके कारण इन दिनों भारत के साथ जुड़े हुए कई देश यूपीआई से जुड़ने को तैयार हैं क्योंकि अब फिनटेक का युग है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि फिनटेक में भारत अब लीड कर रहा है और इसलिए दुर्भाग्य तो इस बात का है कि जब वो इस विषय को चर्चा कर रहे थे तब देश के बड़े-बड़े विद्वान जो पार्लियामेंट में बैठे हैं वह इसका मखौल उड़ाते थे, मजाक उड़ाते थे, उनको भारत के पोटेंशियल का अंदाजा नहीं था और टेक्नोलॉजी के सामर्थ्य का भी अंदाज नहीं था। पहली बार वोट दे रहे युवाओं से अपने कनेक्ट के संबंध में पीएम मोदी ने कहा कि वो उनके एस्पिरेशन को समझ पाते हैं।
उन्होंने कहा कि जो पुरानी सोच है कि वह घर में अपने पहले 5 थे तो अब 7 में जाएगा, 7 से 9, ऐसा नहीं है। वह 5 से भी सीधा 100 पर जाना चाहता है। पीएम मोदी ने कहा कि आज का यूथ हर, क्षेत्र में वह बड़ा जंप लगाना चाहता है, हमें वह लॉन्चिंग पैड क्रिएट करना चाहिए, ताकि हमारे यूथ के एस्पिरेशन को हम फुलफिल कर सकें और इसलिए यूथ को समझना चाहिए। उन्होंने बताया कि वो परीक्षा पर चर्चा करते हैं और उन्होंने देखा है कि मुझे लाखों युवकों से ऐसी बात करने का मौका मिलता है जो परीक्षा पर चर्चा की चर्चा चल रही है, लेकिन वह उनके साथ 10 साल के बाद की बात करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक नई जनरेशन है, अगर सरकार और सरकार की लीडरशिप इस नई जनरेशन के एस्पिरेशन को समझने में विफल हो गई तो बहुत बड़ी गैप हो जाएगी। उन्होंने याद दिलाया कि कोविड में वो बार-बार चिंतित थे कि यह फर्स्ट टाइम वोटर जो अभी हैं, वह कोविड के समय में 14-15 साल के थे अगर यह चार दीवारों में फँसे रहेंगे तो इनका बचपन मर जाएगा, उनकी जवानी आएगी नहीं, वह बचपन से सीधे बुढ़ापे में चला जाएगा। यह गैप कौन भरेगा?
प्रधानमंत्री ने कहा कि वो उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात करता था। मैं उनको समझाते था का आप यह करिए, और इसलिए हमने डेटा एकदम सस्ता कर दिया। उस समय मेरा डेटा सस्ता करने के पीछे लॉजिक था। वह ईजिली इंटरनेट का उपयोग करते हुए नई दुनिया की तरफ मुड़े और वह हुआ, उसका हमें बेनिफिट हुआ है। पीएम ने कहा कि भारत ने कोविड की मुसीबतों को अवसर में पलटने में बहुत बड़ा रोल किया है और आज जो डिजिटल रिवॉल्यूशन आया है, फिनटेक का जो रिवॉल्यूशन आया है, वह हमने आपत्ति को अवसर में पलटा उसके कारण आया है तो मैं टेक्नोलॉजी के सामर्थ्य को समझते हैं, वो टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना चाहते हैं।