प्रसार भारती के पूर्व सीईओ और IAS रह चुके जवाहर सरकार इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नीता अंबानी की फोटोशॉप्ड तस्वीर शेयर करने के कारण चर्चा में हैं। हालाँकि, ऐसा पहली दफा नहीं है कि जवाहर सरकार ने पीएम मोदी की छवि धूमिल करने का प्रयास किया हो। इससे पहले साल 2014 में भी लोकसभा चुनावों के समय भी वह मोदी विरोधी काम करके खबरों में आ चुके हैं।
2 मई 2014 को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जवाहर सरकार ने 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान दूरदर्शन पर प्रसारित बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू को ‘स्पष्ट रूप से एडिट’ करने की बात स्वीकार की थी। मोदी का ये इंटरव्यू 27 अप्रैल, 2014 को दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था।
सरकार ने मानी थी 2014 में मोदी के इंटरव्यू में काट-छाँट की बात
दूरदर्शन ने 27 अप्रैल को प्रसारित मोदी के इंटरव्यू के कुछ हिस्सों को एडिट किया था, जिसमें उन्होंने प्रियंका गांधी वाड्रा और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का जिक्र किया था। इसे लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था और भारतीय जनता पार्टी ने दूरदर्शन पर सरकार के नियंत्रण का आरोप लगाया था।
नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू को जवाहर सरकार ने काट-छाँट करके चलवाया था और इसे वह अपने पत्र में स्वीकार भी चुके हैं। उस समय पूरे 56 मिनट का इंटरव्यू महज 28 मिनट में, बिना किसी को जानकारी दिए प्रसारित किया गया था।
इंटरव्यू से जो हिस्सा काटा गया वहाँ मोदी ने प्रियंका गाँधी और अहमद पटेल पर अपनी सॉफ्ट बातों को रखा था। लेकिन मोदी का यह कॉर्नर दिखाना शायद सिरकार कें नेतृत्व में दूरदर्शन को नामंजूर था। अंत: फैसला लिया गया कि इंटरव्यू ले लिया है तो वह टेलीकास्ट होगा, लेकिन एडिटिंग के बाद। बताया जाता है जिस समय मोदी के इंटरव्यू की यह एडिटिंग चल रही थी उस समय कुछ लोगों को ही एडिटिंग रूम में जाने की इजाजत थी। बाकी लोगों को उस कमरे से बाहर रखा गया था।
साल 2014 में मोदी के इंटरव्यू की कहानी
साल 2014 में भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने की जब घोषणा की गई तभी दूरदर्शन पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने उस इंटरव्यू को अहमदाबाद में शूट किया। लेकिन अंदरूनी कारणों से दूरदर्शन ने इसके प्रसारण में देर कर दी। उस समय सरकार को कई जगह से संदेश आने लगे कि कहीं इंटरव्यू ड्रॉप तो नहीं कर दिया गया।
सोशल मीडिया और फोन कॉल्स से पड़ रहे दबाव के बाद 27 अप्रैल को इस इंटरव्यू को बिना किसी को सूचित किए प्रसारित किया गया। इंटरव्यू में काट-छाँट किस स्तर पर हुई थी इसका अंदाजा इससे लगता है कि 56 मिनट का इंटरव्यू था और प्रसारित हुआ मात्र 28 मिनट का।
ये एडिटिड इंटरव्यू देख भाजपा समर्थक दूरदर्शन पत्रकार अशोक श्रीवास्तव पर अपना गुस्सा निकालने लगे और सरकार से तमाम सवाल-जवाब होने लगे। सरकार ने पहले तो इस हरकत का ठीकरा तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी पर फोड़ दिया। जिससे भाजपा ने तत्कालीन सरकार पर मीडिया को कंट्रोल करने के आरोप लगाए।
लेकिन दूरदर्शन की पोल तब खुली जब तिवारी ने सरकार की बातों से किनारा कर लिया। तिवारी ने कहा, “प्रसार भारती एक स्वायत्त प्रसारक है और संसद के एक अधिनियम द्वारा शासित है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय का प्रसारक के साथ एक व्यापक संबंध है। हम उनके समाचार एजेंडे में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।”
अब ये जानना दिलचस्प है कि सरकार ने अपने पत्र में लिखा क्या था। तो इंडिया टुडे की रिपोर्ट बताती है कि सरकार ने इस पत्र में इंटरव्यू टेलीकास्ट करने वाली स्थिति को बयान किया था। इसमें बताया था कि कैसे डीडी न्यूज के सर्वोत्तम प्रयास (एडिटेड वीडियो) के बावजूद एक संतुलित वीडियो नहीं बन पाया और वह लोग इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि इसके काउंटर में राहुल गाँधी का इंटरव्यू होगा या नहीं।
नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू का यह वीडियो 1 मई 2014 को नरेंद्र मोदी यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था। इसमें मात्र 6:00 सेकेंड के स्लॉट के बाद देख सकते हैं कि उन्होंने प्रियंका गाँधी को बेटी कहते हुए अपनी बात रखी है। जिसे दूरदर्शन ने वीडियो से एडिट करवा दिया था।
इसके अलावा इस इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉन्ग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के लिए भी कई दोस्ताना बातें कहीं थी। उन्होंने बताया था कि कैसे उनसे संबंध अहमद पटेल से अच्छे थे और वह लोग उन्हें अहमद भी नहीं कहते बल्कि बाबूभाई कहते थे। हालाँकि अहमद पटेल ने चुनाव नजदीक देखते हुए मोदी के दावों को खारिज कर दिया था और कहा था कि उन्होंने सिर्फ 1980 में मोदी के साथ लंच किया था।