महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार बतौर राष्ट्रपति स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को सम्बोधित किया। 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा याद किया कि कैसे 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उन्होंने कहा कि उस शुभ-दिवस की वर्षगाँठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने याद किया कि स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें। उन्होंने कहा कि अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया।
इस यात्रा को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया और उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। उन्होंने बताया कि यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है। उन्होंने पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या के सम्बोधन में कहा, “हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। हमने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आँकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियाँ विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं।”
उन्होंने कहा कि जब दुनिया कोरोना महामारी के गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। बकौल द्रौपदी मुर्मू, इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है और इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है।
जब दुनिया कोरोना महामारी के गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। pic.twitter.com/U6bBlbKXv1
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 14, 2022
राष्ट्रपति ने कहा, “आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं उनके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएँ हैं। आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियाँ आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सलाह दी कि हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए।