राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार (28 नवंबर, 2021) को उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुँचे। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव जी ने योग की लोकप्रियता को बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि जन-सामान्य को भी योगाभ्यास से जोड़कर उन्होंने अनगिनत लोगों का कल्याण किया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह गलत धारणा रखते हैं कि योग किसी पंथ या संप्रदाय विशेष से सम्बद्ध है, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वो मानते हैं कि योग सबके लिए है, योग सबका है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा जो प्रयास किए जा रहे हैं उनसे भारतीय ज्ञान-विज्ञान, विशेषकर आयुर्वेद तथा योग को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विश्व-पटल पर गौरवशाली स्थान प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि उन्हें यह देखकर प्रसन्नता होती है कि पतंजलि समूह के संस्थानों में भारतीयता पर आधारित उद्यमों और उद्यम पर आधारित भारतीयता का विकास हो रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छात्रों, उनके अभिभावकों और शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह आवश्यक है कि हम सभी प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली को अपनाएँ तथा प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन न करें। इस दौरान राष्ट्रपति ने आचार्य बालकृष्ण से भी मुलाकात की। उन्होंने भारत में चल रहे विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का जिक्र करते हुए प्राकृतिक उत्पादों के इस्तेमाल की सलाह दी। सूरीनाम और क्यूबा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि साम्यवादी देशों में भी योग दिवस धूमधाम से मनाया जाता है।
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव जी ने योग की लोकप्रियता को बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। जन-सामान्य को भी योगाभ्यास से जोड़कर उन्होंने अनगिनत लोगों का कल्याण किया है। pic.twitter.com/IfMG2crUmv
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 28, 2021
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, “इस दीक्षांत समारोह के लिए मुझे अप्रैल में ही आना था, लेकिन कोविड महामारी के कारण ऐसे कई कार्यक्रम स्थगित हुए। आज ऐसा लग रहा है जैसे एक अच्छा कार्य जो अधूरा रह गया था, आज पूरा हो रहा है। बल्कि स्वस्थ और उत्साह भरे वातावरण में पूरा हो रहा है। हरिद्वार भगवान विष्णु और महादेव, दोनों की पावन स्थली में प्रवेश का द्वार है। यहाँ रहने व शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलना विद्यार्थोयों के लिए सौभाग्य की बात है।”
प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद ने कहा कि 10-15 वर्ष पूर्व भारत में योग को एक तपस्या माना जाता था और लोग सोचते थे कि केवल ऐसे लोग ही योग कर सकते हैं जो संन्यासी होंगे, साधु-संत होंगे या जिन्होंने घर-गृहस्थी त्याग दी हो। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव ने इस परिभाषा को बदल दिया और लोग अब कहीं भी योग करते दिख जाते हैं। उन्होंने 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाए जाने के संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्णय लेने का जिक्र भी किया। राष्ट्रपति ने कहा कि इसे सांस्कृतिक धरोहर की सूची में भी शामिल किया गया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस संस्थान में स्वदेशी उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज से 3000 वर्ष पहले महर्षि पतंजलि ने दो शब्दों से शुरू कर के छोटे-छोटे सारगर्भित जानकारियों की मदद से योग सूत्र को पिरोया, जो भारत के लिए उपहार है। उन्होंने स्वाध्याय में प्रमाद न करने की सलाह देते हुए कहा कि संस्कृत भाषा में मानसिक शिथिलता के लिए प्रमाद शब्द का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने विज्ञानमय और आनंदमय कोष में सभी यात्रा करते रहें, यही उनकी कामना है।