आम आदमी पार्टी पर छाए हुए संकट के बादल हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। एक ही सप्ताह में पार्टी के 2 बड़े विकेट पवेलियन जा चुके हैं। फुलका के त्यागपत्र के बाद रविवार को आम आदमी पार्टी विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने भी आप पार्टी के साथ चल रहे लम्बे विवाद के बाद अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी है।
एक ओर जहाँ आम आदमी पार्टी पंजाब राज्य की जनता से बहुत उम्मीद लगाकर चल रही है, वहीं दूसरी ओर पार्टी के भीतर चल रही उठा-पटक कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक सप्ताह पहले ही आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एडवोकेट एचएस फुलका ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफ़ा देकर सक्रिय राजनीति को अलविदा कह दिया था। फुलका आम आदमी पार्टी की तरफ से पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रह चुके हैं।
क्या है सुखपाल सिंह खैहरा के इस्तीफ़े का कारण?
Punjab MLA Sukhpal Khaira resigns from the primary membership of Aam Aadmi Party. In a letter to Arvind Kejriwal, Khaira says ‘party has totally deviated from the ideology and principles on which it was formed post Anna Hazare movement.’ (file pic) pic.twitter.com/vPc1N0wIYi
— ANI (@ANI) January 6, 2019
रविवार सुबह ही काफी समय से पार्टी से चल रहे विवाद के बाद आम आदमी पार्टी के एमएलए सुखपाल सिंह खैहरा ने भी पार्टी को त्यागपत्र दे दिया। खैहरा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में पार्टी द्वारा उन्हें अपमानित किए जाने की बात लिखी है। साथ ही पत्र में ये भी लिखा है कि वो जिस उद्देश्य से अन्ना हज़ारे आंदोलन के दौरान पार्टी से जुड़े थे, पार्टी उन मुद्दों से भटक चुकी है।
अरविंद केजरीवाल कर चुके थे अनुशासनहीनता के लिए निलंबित
वर्तमान में पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी विधायकों की संख्या घटकर 18 हो चुकी है। एचएस फुलका के इस्तीफ़े के बाद नेता विपक्ष खैहरा को बनाया गया था, लेकिन पार्टी-विरोधी गतिविधियों के कारण उनसे ये पद आम आदमी पार्टी द्वारा छीन लिया गया। इसके बाद खैहरा बागी हो गए थे और पार्टी ने खैहरा के साथ उनके साथी विधायक कंवर संधू को पार्टी से निलंबित कर दिया था। पार्टी अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल से खैहरा के संबंध काफी समय से विवादित चल रहे थे। पिछली पंजाब रैली के बाद अरविंद केजरीवाल ने खैहरा और कंवर संधू को अनुशासनहीनता के कारण निलंबित कर दिया था। तभी से सुखपाल सिंह खैहरा नया राजनीतिक मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे थे।