किसान संगठनों ने मंगलवार (दिसंबर 8, 2020) को भारत बंद का आह्वान कर रखा है। 12 दिन से किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। केंद्र सरकार के साथ किसान नेताओं की 5 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। अब इस पूरे मामले पर पंजाब सरकार का दोहरा चेहरा भी सामने आ गया है।
पंजाब में कॉन्ग्रेस की सरकार है। वहाँ दो प्रमुख दलों के बीच अपने आप को किसानों का बड़ा हितैषी बनाने की होड़ लगी हुई है। दूसरी पार्टी है अकाली दल, जो इसी कृषि कानून के खिलाफ केंद्र की एनडीए सरकार से बाहर हो चुकी है। लेकिन अब इन दोनों ही दलों की पोल खुलती नजर आ रही है।
Had the Akalis not cancelled the deal, at least 1.5 lakh farmers of Punjab would have tripled their incomes! pic.twitter.com/aLOWMlGcPQ
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) July 27, 2016
दरअसल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का 2016 का एक ट्वीट वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने अकाली दल पर निशाना साधा था। बता दें कि अमरिंदर सिंह ने 27 जुलाई, 2016 को एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि उन्होंने 3000 करोड़ रुपए के रिटेल एग्री-बिजनेस प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए रिलायंस ग्रुप के साथ समझौता किया था। इस समझौते से 3000 गाँवों में कम से कम 1.5 लाख किसानों की आय को तीन गुना करने में मदद मिलती, लेकिन अकाली दल ने इसे रद्द कर दिया।
इस ट्वीट में कैप्टन ने जिस सौदे के बारे में लिखा है उसे भी जान लीजिए। दरअसल मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस रिटेल ने कृषि और रिटेल प्रोजेक्ट के लिए पंजाब सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें 500 करोड़ रुपए का शुरुआती निवेश का प्रावधान किया गया था। बाद में इसे 3,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाना था। लेकिन अकाली दल की सरकार ने इसे खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि पंजाब के सीएम किसानों के आंदोलन को लेकर अमित शाह से भी मिले थे। उन्होंने इस आंदोलन को जल्दी समाप्त कराने की बात कही थी। इसको लेकर उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश की सुरक्षा को इससे खतरा होगा।
अकाली दल और कॉन्ग्रेस दोनों का दावा है कि नए कानूनों से कृषि में निजी कंपनियों और कॉर्पोरेट यूनिट्स का प्रवेश हो गया जिससे किसानों के लिए मुश्किल शुरू हो जाएगी। कॉन्ट्रैक्ट खेती के प्रावधानों की वजह से किसानों से उनकी जमीन का मालिकाना हक छिन जाएगा।
दोनों ही दल केंद्र सरकार पर इस बात को लेकर निशाना साध रहे है कि अडानी-अंबानी जैसे पूँजीपतियों को लाभ पहुँचाने के लिए सरकार ने यह कानून बनाया है। हालाँकि इस ट्वीट से स्पष्ट हो जाता है कि किसान आंदोलन के बीच कॉन्ग्रेस और अकाली दल जो राजनीति कर रहे हैं वह केवल और केवल वोट बैंक को साधने के लिए है।