पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले आंतरिक कलह से जूझ रही राज्य की सत्ताधारी पार्टी कॉन्ग्रेस के एक फैसले से नाम पर सियासी जंग शुरू हो गई है। असल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर शुरू की गई एक आवासीय परियोजना का नाम बदलकर साहिर लुधियानवी के नाम पर रखने का फैसला किया गया है। दिलचस्प यह है कि 2010 में लॉन्च की गई यह परियोजना अभी तक अधर में है। इतना ही नहीं कॉन्ग्रेस की सरकार में यह परियोजना पूर्व में रद्द भी हो चुकी है जिसकी वजह से आवेदकों के पैसे भी फँसे हैं। अब चुनाव से पहले नाम बदलकर इसे फिर से शुरू करने का फैसला किया गया है।
राजनीतिक विवाद पर बात करने से पहले इस योजना के विभिन्न पहलू पर गौर कर लेते हैं। लुधियाना में बनने वाली इस आवासीय परियोजना की शुरुआत 2011 में की गई थी। नाम रखा गया अटल अपार्टमेंट। जिम्मेदारी लुधियाना इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (एलआईटी) को दी गई। शहीद करनैल सिंह नगर में 8.80 एकड़ जमीन पर 12 मंजिल की इस आवासीय योजना को विकसित करना था।
जब इसकी शुरुआत हुई तो राज्य में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की सरकार थी। बीजेपी भी इसमें साझीदार थी। योजना को जब लॉन्च किया गया तब भाजपा नेता मनोरंजन कालिया पंजाब सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री हुआ करते थे।
लॉन्चिंग के बाद से यह परियोजना दो बार रद्द हो चुकी है। पहली बार दिसंबर 2017 में। वजह बताई गई खरीदारों का उम्मीद से कम आवेदन मिलना। इसके बाद जनवरी 2019 में एलआईटी ने 636 फ्लैटों के लिए नया सर्वे किया। नए सिरे से आवेदन माँगे। करीब 800 लोगों ने फ्लैट खरीदने में दिलचस्पी दिखाते हुए 10000 रुपए जमा किए। भी कर दिए। लेकिन जनवरी 2020 में फिर से इसे रद्द कर दिया गया। आवेदकों को आज भी पैसा वापस मिलने का इंतजार है।
अक्टूबर की शुरुआत में एलआईटी के चेयरमैन और कॉन्ग्रेस नेता रमन बालासुब्रमण्यम ने इसका नाम बदलकर ‘साहिर लुधियानवी अपार्टमेंट्स’ करने और दोबारा शुरू करने का प्रस्ताव दिया। इसका विरोध हो रहा है। बीजेपी नेता मनोरंजन कालिया ने कहा है कि कॉन्ग्रेस एक गलत मिसाल कायम कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी साहिर लुधियानवी की विरोधी नहीं है। उनके नाम पर कोई और योजना शुरू की जा सकती है। लेकिन वाजपेयी के नाम को एक परियोजना से हटाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भले शिअद आज बीजेपी के साथ नहीं है, पर वह भी इस फैसले का विरोध कर रही है। 2022 के चुनाव के लिए लुधियाना पश्चिम से अकाली दल उम्मीदवार महेश इंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा है कि एक परियोजना से अटल बिहारी का नाम बदलना पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने कहा कि इसका शिअद-भाजपा गठबंधन से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन वाजपेयी के नाम पर एक परियोजना का नाम रखना सामाजिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ उनके बारे में जान सकें।
दूसरी तरफ इन आरोपों को खारिज करते हुए कॉन्ग्रेस तुच्छ राजनीति का आरोप बीजेपी पर लगा रही है। बालासुब्रमण्यम का कहना है कि इस परियोजना को नया रूप दिया गया है और हम चाहते थे कि इससे किसी ऐसे व्यक्ति का नाम जुड़ा हो जो स्थानीय और गैर विवादास्पद हो। शहर में साहिर लुधियानवी के नाम पर कोई इमारत या स्मारक नहीं है, इसलिए ऐसा किया गया। हमारा मकसद वाजपेयी का अनादर करना नहीं है।
जिस प्रदेश में चुनाव निकट हो वहाँ राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप नई बात नहीं है। लेकिन जो परियोजना 10 साल से अधर में हो, दो बार रद्द की जा चुकी हो, उसे चुनाव से ठीक पहले शुरू करना बताता है कि इसका मकसद परियोजना को मंजिल तक पहुँचाने से कहीं ज्यादा सियासी है। लिहाजा इसका विरोध पंजाब में शुरू हो गया है। चूँकि पूरे विवाद से वाजपेयी का नाम जुड़ा है तो इसकी सियासी तपिश पंजाब से बाहर भी आने वाले दिनों में महसूस की जा सकती है।