प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक मामले में पंजाब पुलिस ने 150 अज्ञाल लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। ये एफआईआर आईपीसी की धारा 283 के तहत की गई। इस धारा में प्रावधान है कि अगर कोई भी शख्स सार्वजनिक सड़क (लोक-मार्ग) या जलमार्ग में रुकावट खड़ी करेगा, जिससे वाहन को निकलने में परेशानी उत्पन्न हो; किसी भी सार्वजनिक रास्ते में जाम लगाएगा जिससे व्यक्ति को परेशानी उत्पन्न हो रही हो; किसी भी प्रकार के वाहन या जलयानों के द्वारा सार्वजनिक सड़क या नदियाँ या जल में जाम लगाएगा, जिससे जनसाधारण को दिक्कत उत्पन्न हो, तो उसके ऊपर 200 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
अजीब बात ये है कि एक ओर जहाँ पंजाब पुलिस इस केस को सिर्फ सड़क में पैदा किया गया अवरोध मान रही है, वहीं सेंट्रल एजेंसियाँ इस मामले को प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक का गंभीर मामला मानकर अपनी जाँच कर रही हैं। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में पंजाब प्रशासन से उस दिन पीएम की सुरक्षा में की गई सभी तैयारियों का विवरण माँगा है।
इस बीच चन्नी सरकार द्वारा की गई एफआईआर ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है जिसमें पंजाब पुलिस ने कहीं से कहीं तक सुरक्षा चूक का जिक्र नहीं किया। प्राथमिकी में राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं, प्रदर्शनकारियों या संगठनों की उपस्थिति के कारण पीएम मोदी के काफिले को रोके जाने की बात का भी कोई जिक्र नहीं है।
एफआईआर में पंजाब पुलिस के ही डीएसपी महेंद्र का बयान है। इसमें लिखा है, “फिरोजपुर-मोगा स्थित कृषि भवन मार्ग पर पहुँचने पर मुझे बताया गया कि कुछ अज्ञात लोगों ने उस मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है जहाँ वीआईपी की आवाजाही थी। यह लोग रैली में शामिल होना चाहते थे। ये सब करीब 2:30-3:00 बजे हुआ। जब मैं थाने गया तो वहाँ प्रदर्शन हो रहा था।” इस पूरी एफआईआर में कहीं भी किसी किसान यूनियन या संगठन का नाम नहीं है जिन्हें इस घटना के पीछे उत्तरदायी माना जा रहा है और जिनसे संबंधी जानकारी 5 जनवरी से पहले ही साझा की जा चुकी थी।
बता दें कि 5 जनवरी 2022 को पीएम का काफिला फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट रुकने का पूरा मामला तेजी से आगे बढ़ रहा है। वहीं पंजाब की राज्य सरकार इस पूरे मुद्दे पर घिरती दिख रही है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लगातार बयानों में पलटियाँ मारने के कारण खुद पर सवाल खड़ा करवा लिया है। पहले तो उन्होंने पीएम की सुरक्षा में चूक को कुदरती बताया और फिर ये कह दिया कि कोई लापरवाही हुई ही नहीं। वह ये भी मानने को तैयार नहीं है कि उस दिन पीएम की जान को खतरा था।