कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी ने आज (सितंबर 11, 2020) डिफेंस पैनल मीट में भारतीय जवानों को पहुँचाए जा रहे राशन की सप्लाई पर सवाल पूछा। रक्षा मामले पर संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्षता कर रहे भाजपा नेता जुएल उरांव से कॉन्ग्रेस नेता ने पूछा कि आखिर सीमाओं पर तैनात जवानों और अधिकारियों के भोजन में अंतर क्यों है?
इस सवाल के बाद न्यूज 18 की पत्रकार पल्लवी घोष ने इस मामले को सोशल मीडिया पर उठाया। उन्होंने बताया कि राहुल गाँधी ने संसदीय समिति की बैठक में जवानों और अधिकारियों के खाने के बीच हो रहे फर्क का मुद्दा उठाया है।
Rahul gandhi asks. Why difference in diet of jawans and officers .. this is the agenda of today’s meeting of parl committee on defence pic.twitter.com/fOTpHwZVqJ
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) September 11, 2020
गौर करने वाली बात यह है कि भले राहुल गाँधी लोकसभा की संसदीय समिति के सदस्य हैं, लेकिन यह पहली बार है कि वह रक्षा मामले पर किसी बैठक में शामिल हुए हों। इससे पहले समिति की पिछली 11 बैठकों से वे दूर रहे हैं और फिर भी मोदी सरकार को रक्षा से संबंधित मामलों जैसे राफेल से लेकर LAC पर घेरते रहे। मगर, आज राहुल गाँधी ने बैठक में जवानों के खाने के बारे में पूछा।
With these drones, the PLA’s frontline soldiers can enjoy hot meals once winter reaches the plateau. Some sympathize with the nearby Indian soldiers who can only eat cold canned food and have to endure the severe cold and potential spread of COVID-19. pic.twitter.com/Rci5H8Wbmy
— Hu Xijin 胡锡进 (@HuXijin_GT) September 11, 2020
हैरानी की बात ये है कि जवानों के खाने की चिंता राहुल गाँधी को ठीक उसे समय सता रही है, जब चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक ने ट्विटर पर भारत को इसी मुद्दे के ऊपर घेरना चाहा है। जी हाँ, हाल में ग्लोबल टाइम्स के एडिटर इन चीफ ने भारतीय सेना को मिल रहे खाने को ‘ठंडा डिब्बाबंद खाना (Cold canned)’ कहकर घेरा था। उसने कहा था कि वह लोग अपने सीमा पर तैनात जवानों को गर्म खाना देते हैं। लेकिन भारतीय सेना को Cold canned food मिलता है।
चीनी सेना को पहुँचाए जाने वाले खाने की वीडियो शेयर करते हुए ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक हू शिजिन ने कहा था, “इन ड्रोन के साथ, सीमा पर तैनात पीएलए सैनिक पठार पर पहुँचते ही गर्म भोजन का आनंद ले सकते हैं। आस-पास के भारतीय सैनिकों के प्रति कुछ सहानुभूति है जो केवल ठंडा डिब्बाबंद खाना खा सकते हैं और कड़ाके की ठंड में उन्हें कोविड-19 के संभावित प्रसार को झेलना पड़ता है।”
मोदी सरकार को घेरने के लिए चीन ने किया कॉन्ग्रेस के बयानों का इस्तेमाल
ग्लोबल टाइम्स की इस कोशिश के बाद अब राहुल गाँधी को चीन का प्रोपेगेंडा आगे बढ़ाते पाया गया। हालाँकि यह पहली बार नहीं है जब चीन के एजेंडे को चलाने के लिए कॉन्ग्रेस मुख्य भूमिका में आई हो। इससे पहले भी चीन ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ टिप्पणी करने के लिए कॉन्ग्रेस के आरोपों को ही आधार बनाया था।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि मोदी सरकार देश में अपनी विदेश नीति के चलते मुख्य विपक्षी पार्टी से भारी दबाव का सामना कर रही है और कॉन्ग्रेस बीजेपी को सत्ता से हटाने का इंतज़ार कर रही है।
चीन और कॉन्ग्रेस के गुप्त समझौतों का खुलासा
यहाँ बता दें कि जून महीने में सीमा विवाद शुरू होने के बाद कॉन्ग्रेस और चीन के बीच हुए कई गुप्त समझौतों का खुलासा हुआ था। इनमें मालूम चला था कि 7 अगस्त 2008 को सोनिया गाँधी की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था।
खास बात यह थी कि उस समझौता ज्ञापन को तत्कालीन कॉन्ग्रेस पार्टी के मुख्य सचिव राहुल गाँधी ने सोनिया गाँधी की उपस्थिति में साइन किया था। चीन की ओर से तब वहाँ शी जिनपिंग मौजूद थे। इस समझौता ज्ञापन ने दोनों पक्षों को महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर एक-दूसरे से परामर्श करने का अवसर प्रदान किया था। इसके बाद डोकलाम विवाद के बीच में भी राहुल गाँधी के चीनी अधिकारियों से मिलने की बात सामने आई थी।