कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने सोमवार (1 जुलाई, 2024) को संसद में बतौर नेता प्रतिपक्ष पहला संबोधन देते हुए हिन्दुओं को हिंसक बता दिया और अग्निपथ योजना को लेकर झूठ फैला दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिन्दू देवी-देवता ‘अभय मुद्रा’ में आशीर्वाद देते हैं, ये हर मजहब में है। उन्होंने इसके लिए गुरु नानक और जीसस क्राइस्ट की तस्वीर दिखाई। साथ ही उन्होंने इस्लाम को भी ‘अभय मुद्रा’ से जोड़ दिया, जिसके बाद मुस्लिम समाज ही अब उनके खिलाफ उतर आया है।
राहुल गाँधी के इस संबोधन पर ‘ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल’ के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा, “मेरी भी जानकारी में आया है और मैंने थोड़ा-बहुत देखा भी है कि राहुल गाँधी ने संसद में ‘अभय मुद्रा’ का जिक्र किया और मुस्लिमों द्वारा दुआ माँगे जाने से इसकी तुलना करते हुए कहा है कि ये इस्लाम में भी है। ‘अभय मुद्रा’ हिन्दू धर्म के अंदर विभिन्न मुद्राओं का जिक्र है और विभिन्न देवी-देवता हैं उसमें हो सकता है।”
इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्लाम में मूर्तिपूजा या पूजा-पाठ का कोई जिक्र नहीं है, न ही किसी किस्म के ‘अभय मुद्रा’ का जिक्र है। सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि वो नहीं जानते हैं कि किस स्थिति में उन्होंने इसे इस्लाम से जोड़ा है और जस्टिफिकेशन देने की कोशिश की है कि कॉन्ग्रेस के चुनाव चिह्न से इस्लाम में दुआ माँगने के तौर-तरीके से जोड़ा है। ‘ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल’ के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि इस्लाम में ऐसा कुछ भी नहीं है, वो इसका खंडन करते हैं।
#WATCH | On Congress MP Rahul Gandhi's speech in Parliament, Syed Naseruddin Chishty, Chairman of All India Sufi Sajjadanashin Council, says, "While speaking in the Parliament today, Rahul Gandhi has said 'Abhayamudra' is also there in Islam. There is no mention of idol worship… pic.twitter.com/4dugkfmHU7
— ANI (@ANI) July 1, 2024
संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी राहुल गाँधी को करारा जवाब देते हुए कहा था कि वो इस्लामी विद्वानों से ‘अभय मुद्रा’ के बारे में पूछ लें, साथ ही ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी’ से भी गुरु नानक की तस्वीर दिखाने से पहले इस संबंध में सलाह ले लें। राहुल गाँधी ने संसद में कहा कि खुद को हिन्दू बताने वाले हिंसा करते हैं, नफरत फैलाते हैं और असत्य बोलते हैं। पीएम मोदी ने खुद इसका जवाब देते हुए कहा कि ये गंभीर विषय है, इस पर उन्हें माफ़ी माँगनी चाहिए।