मेघालय के अनानास पूरी दुनिया में मशहूर हैं। मिडिल-ईस्ट में इसका खूब एक्सपोर्ट होता है, लेकिन राहुल गाँधी का कहना कुछ और है। उनके मुताबिक उन्होंने कभी भी मेघालय के अनानास नहीं खाए। उन्होंने इस फल को चखते हुए ऐसे दर्शाने का प्रयास किया कि नॉर्थ ईस्ट में इतनी अच्छी खाने की चीज मिलती है लेकिन बुनियादी विकास न होने के कारण दूसरे राज्यों में बैठे लोगों इसका स्वाद नहीं ले पा रहे। हालाँकि, ये कहते हुए शायद उन्हें ये बात नहीं पता कि इन अनानासों की पूछ विदेशों में भी है और ये वहाँ तक पहुँचते भी हैं।।
मेघालय में अनानास खाते-खाते राजनीति करने से बाज न आने वाले राहुल गाँधी ने कहा, “आज यहाँ गाड़ी चलाते समय हम रुके और कुछ अनानास का स्वाद लिया। एक माँ-बेटी सड़क किनारे अनानास बेच रहे थे। मैंने अपने पूरे जीवन में इतना स्वादिष्ट अनानास कभी नहीं खाया। इसे खाने के तुरंत बाद मैंने अपनी माँ (सोनिया गाँधी) को फोन किया और कहा कि मैं आपके लिए दुनिया के कुछ सबसे अच्छे अनानास ला रहा हूँ।”
राहुल गाँधी ने सवालिया लहजे में कहा, “दुनिया में सबसे अच्छा स्वाद वाला अनानास पूरी दुनिया के लिए क्यों उपलब्ध नहीं है? और राज्यों के किसानों को इसे बाकी दुनिया में बेचने से लाभ क्यों नहीं हो रहा है?” उन्होंने दिखाना चाहा कि दुनिया को ये अनानास नहीं मिल सकते क्योंकि बुनियादी ढाँचे का विकास नहीं हुआ है।
In my entire life, I have never tasted a pineapple more delicious than what I tasted here in Meghalaya.
— Congress (@INCIndia) January 22, 2024
I have a few questions:
1. Why isn't the best-tasting pineapple available to the entire world?
2. Why is the best-tasting pineapple in the world not being sold in London,… pic.twitter.com/qlPIXh18Mf
कॉन्ग्रेस नेता ने कहा, “हमें भारत के लिए एक नया दृष्टिकोण बनाना चाहिए जो किसानों और छोटे व्यवसायों को दुनिया भर में अपने उत्पादों को निर्यात करने की सुविधाएँ दें।” उन्होंने इशारों में कहा कि मेघालय में अनानास की खेती, उसके एक्सपोर्ट और किसानों की मदद का कोई बुनियादी ढाँचा ही नहीं मौजूद, इसीलिए पूरी दुनिया मेघालय के अनानास नहीं खा पा रही।
हालाँकि, हकीकत ये है कि मेघालय के अनानास विदेशों में ये खासे प्रसिद्ध हैं। मेघालय से खाड़ी देशों को सबसे ज्यादा अनानास का निर्यात किया जाता है। दुबई, अबू धाबी, शारजाह और कुवैत के मॉल्स ये अनानास बेच रहे हैं। खुद राज्य सरकार ने अगस्त 2023 में कहा था कि अब मेघालय का अनानास न सिर्फ देश के भीतर, बल्कि देश के बाहर भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
मेघालय के अनानास
बता दें कि मेघालय में कई किस्मों के अनानास होते हैं। उनमें जीआई टैग वाले खासी मंदारिन, लाकाडोंग टर्मरिक, किउ पाइनएपल शामिल हैं। आमतौर पर इन किस्मों को पारंपरिक जैविक तरीके से उगाया जाता है। मेघालय के अनानास में खास बात होती है कि इसमें सामान्य भारतीय अनानास के मुकाबले कीटनाशक और भारी धातु के अवशेष काफी कम होते हैं। इसके अलावा ये कम खट्टे होते हैं और खाने में मीठे लगते हैं। मेघालय के री-भोई और पूर्वी गारो हिल्स जिलों को अनानास के लिए ओडीओपी के लिए चुना गया है।
खास बात ये है कि मेघालय में एनडीए और सहयोगी दलों की सरकार पिछले कुछ समय पहले ही आई थी, उससे पहले 2010 और 2020 के दशकों में कॉन्ग्रेस की ही सरकार रही। उस समय पहले मेघालय के स्थानीय उत्पादों को आगे बढ़ाने की क्या योजनाएँ चलाई गई, इसका जवाब तो कॉन्ग्रेस पार्टी को देना चाहिए?
खैर, हम आपको बता दें कि अबू धाबी के अल-वहदा मॉल में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के दौरान आयोजित कार्यक्रम में मेघालय के अनानास को सेंटर प्वॉइंट के तौर पर रखा गया था। यही नहीं, लुलु ग्रुप जैसी कंपनियाँ खाड़ी देशों के बाजारों में मेघालय के अनानास की मिठास पहुँचा रही हैं।
अभी सरकार की तरफ से अनानास को इकट्ठा करने, उनकी ग्रेडिंग, छँटनी करने और पैकेजिंग करने की किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इन किसानों के ग्रुपों ने असम में रिलायंस आउटलेट्स को 5.2 मीट्रिक टन अनानास तीन सप्ताह में भेजे हैं। यही नहीं, वेस्ट गारो हिल्स की रिंगगी डेमडेमा ऑर्गेनिक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी ‘डीहाट सीड्स टू मार्केट’ के माध्यम से 12 मीट्रिक टन अनानास वाराणसी भेजती है।
मेघालय भारत के अनानास उत्पादन में 8% से अधिक का योगदान देता है, जो इसे भारत के कृषि मानचित्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाता है। अनानास पर अपने फोकस के अलावा, मेघालय सरकार ने किसानों के जीवन को बेहतर बनाने और उनके राजस्व को दोगुना करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। कृषि उत्पादों को बढ़ाने में सरकार योगदान दे रही है। वन स्टॉप शॉप के रूप में राज्य में 200 सीएमसी की स्थापना की गई है। यही नहीं, मेघालय के गाँवों में कृषि उत्पादों के वितरण के लिए भी बुनियादी सुविधाओं का विकास किया गया है।