तमिलनाडु में पेरियार की एक प्रतिमा पर भगवा रंग चढ़ाने की घटना के बाद कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने हिन्दुओं को लेकर घृणा फैलाने वाले ईवी रामासामी उर्फ ’पेरियार’ की प्रशंसा और महिमामंडन किया है। शनिवार (जुलाई 18, 2020) को एक ट्वीट में राहुल गाँधी ने लिखा, “घृणा की मात्रा किसी भी विशाल प्रतीक को कभी भी प्रभावित नहीं कर सकती है।”
எவ்வளவு தீவிரமான வெறுப்பும் ஒரு மகத்தான தலைவனை களங்கப்படுத்த முடியாது
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 18, 2020
No amount of hate can ever deface a giant. pic.twitter.com/Y5ZBNuCfl2
पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने सिर्फ प्रतिमा को नुकसान पहुँचाने पर ही विचार व्यक्त नहीं किए बल्कि उस व्यक्ति का भी महिमामंडन किया, जिसे हिंदू विरोधी ‘बुद्धिजीवी’ के रूप में व्यापक रूप से पहचाना जाता है।
दरअसल, तमिलनाडु में कोयंबटूर के सुंदरपुरम इलाके में ईवी रामासामी जिसे कि ‘पेरियार’ के नाम से जाना जाता है, की प्रतिमा शुक्रवार (जुलाई 17, 2020) को भगवा रंग में नजर आई। जिसके बाद डीएमके, आदि के कार्यकर्ताओं ने मौके पर प्रदर्शन किया।
कुछ लोगों द्वारा पेरियार की प्रतिमा पर भगवा रंग से पुताई कर दी गई थी। पुलिस के अनुसार, पेरियार समर्थकों ने दोषियों को गिरफ्तार करने की माँग करते हुए चेतावनी दी है कि अगर ऐसी घटनाएँ फिर से हुई तो वे अपना प्रदर्शन उग्र कर देंगे।
पेरियार की यह प्रतिमा वर्ष 1995 में इस शहर में स्थापित की गई 3 समाज सुधारकों की प्रतिमाओं में से एक है। इस मामले में कथित रूप से भारत सेना संगठन के सदस्य 21 वर्षीय अरुण कृष्णन ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण भी कर दिया है।
कॉन्ग्रेस का पेरियार प्रेम
यह ध्यान रखने वाली बात है कि दक्षिण भारत में पेरियारवादियों के समर्थन की बदौलत ही 2019 के लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस पार्टी 50 सीटों को पार करने में सफल रही। इस तरह से देखा जाए तो हिन्दुओं के प्रति नफरत फैलाने वाले पेरियार का महिमामंडन कर राहुल गाँधी सिर्फ पेरियार विचारधारा के समर्थकों का एहसान ही वापस कर रहे हैं।
सोनिया गाँधी के नेतृत्व तहत कॉन्ग्रेस पार्टी का लंबा इतिहास बताता है कि एक भी कोई ऐसा हिंदू-विरोधी कार्यकर्ता या ‘बुद्धिजीवी’ नहीं है, जिसे कॉन्ग्रेस पार्टी अपना समर्थन नहीं देती है। सत्ता में UPA के दौरान, सोनिया गाँधी ने अपनी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को उन कार्यकर्ताओं के साथ जोड़ दिया, जिन्होंने विदेशों से फंड प्राप्त किया और विवादित हिंदू-विरोधी सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार किया।
यह भी याद रखने की जरूरत है कि राहुल गाँधी के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस पार्टी ने सिर्फ और सिर्फ हिंदू समुदाय के प्रति अनादर की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाया है, जिसे सोनिया गाँधी ने भलीभाँती सींचने का काम किया।
उदाहरण के लिए, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गाँधी के कार्यकाल के दौरान, केरल में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने देश में कहीं भी गोमांस प्रतिबंध के प्रति अपने विरोध प्रदर्शन में एक बछड़े की निर्मम हत्या की थी। ऐसी परिस्थितियों में, यह बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है कि राहुल गाँधी ने पेरियार का महिमामंडन किया।
हिन्दू विरोधी पेरियार
पेरियार ने रामायण के बारे में कई भ्रम फैलाए। श्री राम पर जातिवादी होने का आरोप लगाने से लेकर यह तक दावा किया गया कि उन्होंने महिलाओं को मार डाला। पेरियार के अनुसार, हिंदू महाकाव्य रामायण और महाभारत को द्रविड़ पहचान को मिटाने के लिए ‘चालाक आर्यों’ द्वारा लिखा गया था। अगर पेरियार की मानें तो, राम, भरत को सिंहासन ना मिलने की साजिश का हिस्सा थे, जो पेरियार के अनुसार दशरथ के योग्य उत्तराधिकारी थे।
राम के प्रति अपनी घृणा के अलावा, पेरियार ने भगवान गणेश की मूर्तियों को भी खंडित किया था। उसने श्री राम के चित्र भी जलाए थे। उसकी मृत्यु के बाद, पेरियारवादियों ने दशहरा के साथ ही ‘रावण लीला’ को वार्षिक आयोजन बनाने का प्रयास किया।
आज इंदिरा गाँधी का पोता उन्हीं लोगों के साथ खड़ा है, जिन्होंने इंदिरा गाँधी का जीवन भर विरोध किया था। यह राहुल गाँधी और उनकी माँ, सोनिया गाँधी के तहत कॉन्ग्रेस पार्टी की मानसिकता में आए बदलाव को भी दर्शाता है, जहाँ पार्टी सक्रिय रूप से हर किसी को हिंदू देवी-देवताओं के बारे में बोलने के लिए प्रेरित करती है और हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने का हर प्रपंच करती है।