कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा एक रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में एफआईआर करने की माँग को लेकर एक याचिका दायर हुई थी। दिल्ली हाईकोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई और याचिका रद्द कर दी गई। हाईकोर्ट ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि दिल्ली पुलिस इस मामले पर पहले एफआईआर दर्ज कर चुकी है। हालाँकि मीडिया ने इस याचिका रद्द की खबर को ऐसे चलाया जैसे राहुल गाँधी को कितनी बड़ी राहत मिली हो। इस तरह की सेलेक्टिव रिपोर्टिंग पर एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने मीडिया संस्थानों को भी लताड़ा।
दरअसल, हुआ ये कि एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा 2021 की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसे सोशल एक्टिविस्ट सुरेश महादलेकर ने डाला था। इसमें 3 माँग की गई थी। पहली एनसीपीसीआर मामले पर एक्शन ले, दूसरी राहुल गाँधी अपना वो ट्वीट डिलीट करें, तीसरी राहुल गाँधी पर एफआईआर हो। अब चूँकि तीनों माँग पहले ही पूरी हो चुकी थी तो कोर्ट ने याचिका रद्द करना ही ठीक समझा।
गौर हो कि इस याचिका के रद्द होने से मामले में राहुल गाँधी पर कार्रवाई नहीं होगी… ऐसा कहीं नहीं कहा गया। एनसीपीसीआर माँग कर रहा है कि राहुल की इस मामले में गिरफ्तारी हो। इससे पहले आयोग की शिकायत पर राहुल गाँधी के खिलाफ 2021 में ही आईपीसी की धारा 228 एक के तहत एफआईआर हो गई थी। उन्होंने पीड़िता बच्ची के माता की वीडियो बनाकर अपने अकॉउंट पर डाला था जिसे बाद में डिलीट करने को कहा गया और वो मना करते रहे। जब मामला कोर्ट पहुँचा तो उन्होंने दबाव में उसे हटाया।
#WATCH दिल्ली: NCPCR प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने कहा, "2021 में एक नाबालिग की रेप और हत्या की घटना हुई थी। उस वक्त इसे सनसनीखेज बनाने के लिए राहुल गांधी ने बच्ची के माता-पिता के साथ वीडियो शूट किया था और उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया था। ऐसा करके उन्होंने POCSO… pic.twitter.com/ipSqwi77q1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 24, 2024
कोर्ट ने इन्हीं तीनों शर्तों को पूरा देख याचिका को रद्द किया। लेकिन मीडिया में छापा गया कि कोर्ट ने राहुल गाँधी को राहत दे दी है, उनके खिलाफ दर्ज याचिका खारिज हो गई है आदि- आदि। ऐसी खबरों पर जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो की नजर पड़ी तो उन्होंने इसके स्क्रीनशॉट लेकर अपने अकॉउंट पर साझा किए और तथ्यों के साथ इन मीडिया संस्थानों को खूब लताड़ा।
उन्होंने कहा सेलेक्टिव रिपोर्टिंग कर के नैरेटिव सेट करने के उदाहरण के रूप में टाइम्स ऑफ इंडिया और द हिंदू की यह खबरें पत्रकारिता के छात्रों को कोर्स में शामिल की जानी चाहिए। इसके बाद उन्होंने बिंदुवार तरीके से बताया कि कैसे राहुल गाँधी के खिलाफ हुई सुनवाई का मामला क्या है और मीडिया ने उसे क्या बताया है।
अपने ट्वीट में उन्होंने ये भी बताया कि नाबालिग की रेप और हत्या के मामले में राहुल गाँधी ने जहाँ उसकी पहचान उजागर की, वहीं अरविंद केजरीवाल ने राहुल को पॉक्सो से बचाने के लिए ये कह दिया कि बच्ची की मौत करंट लगने से हुई थी जबकि हकीकत में पुलिस एफआईआर में साफतौर पर लिखा है कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ और फिर उसकी हत्या की गई।
सेलेक्टिव रिपोर्टिंग कर के नैरेटिव सेट करने के उदाहरण के रूप में @TOIIndiaNews और @the_hindu की यह खबरें पत्रकारिता के छात्रों के कोर्स में शामिल की जानी चाहिये इन खबरों में जो नहीं लिखा गया आइये आपको बताते हैं।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) January 25, 2024
1. राहुल गांधी ने दिल्ली की 9 वर्षीय गैंगरेप व हत्या की शिकार दलित… pic.twitter.com/rLAcgNeXr2