उत्तरप्रदेश के बाहुबली नेताओं में एक सबसे चर्चित नाम राजा भैया का है। राजा भैया वर्तमान में प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा सीट से विधायक हैं और इनकी पार्टी का नाम जनसत्ता लोकतांत्रिक दल है। इनका पूरा नाम रघुराज प्रताप सिंह हैं जबकि अधिकांश लोग इन्हें राजा भैया और कुछ लोग इन्हें तूफान सिंह कहकर भी बुलाते हैं। आपने यदि यूपी के अंदर या बाहर इस नेता की बातें सुनीं हैं तो एक किस्सा आपको जरूर बताया गया होगा कि ये बाहुबली नेता अपने तालाब में मगरमच्छों को पालता था और जो इनका विरोध करता था उन्हें उस तालाब में फेंक दिया जाता था।
राजा भैया से जुड़े ऐसे तमाम किस्सों में कितनी सच्चाई है इस बात को राजा भैया से जब-जब पूछा गया उन्होंने हमेशा इसे हँसी में टाला। लेकिन ये कहानियाँ कभी बंद नहीं हुई और जब-जब चुनावी बयार चली तो ये हर बार प्रासंगिक होती गईं। बात चाहे उनके पहले चुनाव के समय कम उम्र की हो या फिर घुड़सवारी करते शूट की… राजा भैया समय के साथ युवा नेता के तौर पर जितना मशहूर हुए उससे ज्यादा उनसे जुड़े कहानियों को हवा मिली। दिलचस्प बात ये है कि तमाम भयभीत करने वाली कहानियों के बावजूद राजा भैया प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार 6 बार निर्दलीय चुनाव जीते हैं। कुछ साल पहले उन्होंने अपनी पार्टी जनसत्ता दल का गठन किया था।
लखनऊ में पढ़ाई के बाद 1993 से राजनीति में उतरने वाले बाहुबली नेता के ख़िलाफ़ हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, अपहरण, समेत तमाम संगीन धाराओं में 47 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। साल 2002 में मायावती के शासन काल में इन्हें जेल जाना पड़ा था। इतना ही नहीं बातें ये भी सामने आई थीं कि राजाभैया की बेंटी कोठी पर हुई छापेमारी में, जहाँ उनका तालाब है, वहाँ से नरकंकाल बरामद हुए थे।
इसी तरह साल 2010 में भी मायवती की सरकार आने पर उनके ऊपर बीडीसी सदस्य के अपहरण का मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद वह दोबारा जेल गए थे। फिर 3 मार्च 2013 को क्षेत्राधिकारी जिया उल हक की हत्या मामले में राजा भैया का नाम उछला था। मगर सीबीआई जाँच में उन्हें क्लीनचिट मिल गई थी। इसके बाद राजा भैया खाद्य व रसद मंत्री जब बने तो उन पर रुपए गबन का आरोप लगा।
इस तरह तमाम मामलों, मीडिया में प्रचलित हुईं कहानियों के चलते उनका नाम यूपी के बाहुबली नेताओं में शुमार हो गया। मगर, मालूम हो कि राजा भैया के समर्थक उन्हें अब भी बेदाग छवि वाला नेता मानते हैं। उनकी लोकप्रियता इतनी है कि उनके स्वागत में आतिशबाजियाँ तक होती हैं। बताया जाता है कि राजा भैया अपने समर्थकों को बिजली-पानी-सड़क के अलावा आश्वस्त करते हैं कि वो उनके घरों की समस्याओं का भी समाधान करेंगे। घर का झगड़ा हो या सास बहू का झगड़ा…हर तरह की समस्या का समाधान करने का वादा वो अपने क्षेत्र के लोगों से करते रहे हैं।
गौरतलब है कि राजा भैया का नाम कई नेताओं के साथ जोड़ा जाता रहा है। लेकिन पिछले सालों में उन्होंने चुनावों में जब-जब जीत हासिल की, तब-तब सपा को अपना समर्थन दिया। मगर, जिया उल हक की हत्या के बाद अखिलेश यादव और उनके रिश्ते में खटास आ गई और इस बार समाजवादी पार्टी ने उनके ख़िलाफ़ उनके दोस्त गुलशन यादव को ही चुनावी मैदान में उतार दिया।
कई तस्वीरों में राजा भैया के पीछे खड़े नजर आने वाले गुलशन यादव इस बार अखिलेश यादव की पार्टी से कुंडा के प्रत्याशी हैं। जब जिया उल हक की हत्या मामले में राजा भैया पर आरोप लगे थे तो उनके साथ -साथ गुलशन यादव को भी इस केस में आरोपित बनाया गया था। बाद में उन्हें क्लीन चिट मिली थी।
गौरतलब है कि नकारात्मक कारणों से हमेशा चर्चा में रहे राजा भैया इस समय चुनाव से पहले खुलकर मीडिया में बयान दे रहे हैं। वह जगह-जगह अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर खुलकर बातें कर रहे हैं। हाल में उन्होंने द लल्लनटॉप को एक इंटरव्यू दिया। जहाँ उन्होंने अपने तालाब से लेकर जिया उल हक की मृत्यु तक के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि उन्हें खुद नहीं पता उनसे जुड़ी अफवाहें कैसे-कैसे फैलीं। जिस तालाब को लेकर बात होती है वहाँ तो वो मछली पालते हैं। अगर कोई मछली पालेगा तो वो वहाँ मगरमच्छ क्यों पालने का काम करेगा। इसी तरह डीएसपी जिया उल हक की हत्या पर उन्होंने उन हालातों को बयां किया जब उन्हें गोली मारी गई थी।
बता दें कि योगी सरकार के आने के बाद कुछ लोगों ने दावा किया था कि राजा भैया पर लगे कई केस वापस लिए जा रहे हैं। हालाँकि बाहुबली और माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई करने वाली योगी सरकार ने ये स्पष्ट बताया था कि 2017 के बाद से योगी सरकार आने के बाद राजा भैया से जुड़े कोई केस वापस नहीं लिए गए। मामले वहीं हैं जो थे। उधर, कुंडा में लोकप्रिय और प्रचलित कहानियों के कारण बाहुबली बने राजा भैया को इस बार चुनाव से पहले कई इंटरव्यू में योगी सरकार की नीतियों की तारीफ करते देखा गया है। कुछ दिन पहले वह काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। यहाँ उन्होंने मोदी सरकार के प्रयासों के बाद तैयार हुए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को अलौकिक और अद्भुत बताया था।