‘किसान नेता’ राकेश टिकैत ने एक बार फिर से केंद्र सरकार को धमकी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से धमकाया, “केंद्र सरकार के पास 26 नवंबर, 2021 तक का समय है। उसके बाद 27 नवंबर से किसान गाँवों से ट्रैक्टरों से दिल्ली के चारों तरफ आंदोलन स्थलों पर बॉर्डर पर पहुँचेगा और पक्की किलेबंदी के साथ आंदोलन स्थल पर तम्बुओं को मजबूत करेगा।” बता दें कि दिल्ली पुलिस ने किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क पर अवैध रूप से बनाए गए अस्थायी ढाँचों को हटाना शुरू कर दिया है।
इससे पहले राकेश टिकैत ने धमकाते हुए कहा था कि किसानों को अगर बॉर्डरो से जबरन हटाने की कोशिश हुई तो वे देश भर में सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे। उन्होंने कहा था कि हमारी लड़ाई ‘तीन काले कृषि कानूनों’ के खिलाफ और MSP पर गारंटी कानून को लेकर है। राकेश टिकैत ने धमकी दी थी कि जिन किसानों की फसल कहीं नहीं बिक रही है, वो दिल्ली में फसल बेचने जाएँगे। उन्होंने संसद भवन में जाकर फसल बेचने तक की धमकी दी थी।
केंद्र सरकार को 26 नवंबर तक का समय है, उसके बाद 27 नवंबर से किसान गांवों से ट्रैक्टरों से दिल्ली के चारों तरफ आंदोलन स्थलों पर बॉर्डर पर पहुंचेगा और पक्की किलेबंदी के साथ आंदोलन और आन्दोलन स्थल पर तंबूओं को मजबूत करेगा।#FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) November 1, 2021
आगामी उत्तर प्रदेश चुनावों को लेकर भी उन्होंने दावा किया है कि भाजपा कभी निष्पक्ष चुनाव नहीं होने देगी और जनता द्वारा उसे वोट न दिए जाने के बावजूद भी जीत उसी की होगी। राज्य में हुए हलिया पंचायत चुनावों की ओर करते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा में भी ऐसा ही होगा। उन्होंने ये तक दावा कर दिया कि ‘बगैर वोट के चुनाव’ होगा। उन्होंने अपनी योजना बताते हुए कहा कि ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ फसल बेचने दिल्ली जाएगी, जहाँ सुप्रीम कोर्ट और संसद भवन नजदीक ही है।
राकेश टिकैत ने पूछा कि किसान वापस जाकर क्या करेंगे? उन्होंने अगले 6 महीने की तैयारी और आंदोलन को लंबा खींचने की भी बात की। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार अड़ी हुई है तो किसान भी पीछे नहीं हटेंगे और दीवाली क्या, होली भी सड़कों पर ही मनाएँगे। उन्होंने केंद्र सरकार पर पूँजीपतियों और उद्योगपतियों के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘जिद्दी सरकार’ के सामने किसान भी अपनी जिद से नहीं हटेंगे। बता दें कि इस आंदोलन को अब लगभग एक साल हो गए हैं।