Monday, December 23, 2024
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‘बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी… इशांअल्लाह’ – भूमि पूजन के दिन सुबह-सुबह ओवैसी ने उगला जहर

"मंदिर चाहे जितना बड़ा बन जाए। मगर हम अपनी 7 पुश्तों को बताएँगे कि पहले यहाँ बाबरी मस्जिद थी, जिसको भारतीय न्यायपालिका द्वारा तोड़कर यहाँ मंदिर बनाई गई।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (5 अगस्त 2020) अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने वाले हैं। इसी बीच AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एक आज सुबह-सुबह एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है, “बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इशांअल्लाह।” इस ट्वीट के साथ ओवैसी ने दो तस्वीरें भी शेयर की हैं। एक तस्वीर में मस्जिद खड़ा नजर आ रहा है और दूसरे में उसके विध्वंस की घटना है।

ओवैसी के इस ट्वीट पर कई यूजर्स की प्रतिक्रियाएँ आई हैं। इनमें से अधिकांश समुदाय विशेष के हैं। इनका भी ओवैसी की तरह यही कहना है कि बाबरी मस्जिद थी और रहेगी।

एक यूजर तौसिफ रजा अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखता है, “मंदिर चाहे जितना बड़ा बन जाए। मगर हम अपनी 7 पुश्तों को बताएँगे कि पहले यहाँ बाबरी मस्जिद थी, जिसको भारतीय न्यायपालिका द्वारा तोड़कर यहाँ मंदिर बनाई गई। मस्जिद थी, ये बात भारत की न्यायपालिका ने भी माना था और बार-बार दोहराया भी था।”

वह आगे लिखता है, “अंत में भारत की न्यायपालिका ने भी अपना धर्म बदल कर हिंदुत्व अपना लिया था। हम अगर मर भी गए तो ये बताकर और नसीहत देकर जाऊँगा, ये बात अपने पुश्तों को बताऊँगा कि हम पर ज़ुल्म होते रहे, बर्बरता की सारी हदें पार हो गई हमारे ऊपर लेकिन हमें भारतीय न्यायालयों से इंसाफ़ नहीं मिला।”

वहीं, आकिफ मिर्जा नाम का दूसरा यूजर कामना करते हुए लिखता कि वक्फ बोर्ड को इस मामले में रीअपील करनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अगर, वक्फ बोर्ड ऐसा करता तो शायद इस फैसले पर रोक लग जाती।

आलमगीर नाम का यूजर इस मामले पर निराशा जताते हुए कहता है, “वास्तव में यह समुदाय के दुनिया भर के लोगों के लिए अपमान की सदी है! यहाँ तक ​​कि दुनिया में 1.8 अरब के साथ एक देश में 200 मिलियन मजहबी आबादी एक मस्जिद की रक्षा के लिए असहाय हैं।”

बता दें कि गत वर्ष 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को लेकर अपना फैसला सुनाया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन राम लला को सौंप दिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में 5 एकड़ की जमीन दी जाए।

इस फैसले के बाद से कट्टरपंथियों में रोष उमड़ गया था। एक ओर जहाँ फैसले से पहले हर कोई शांति की अपील कर रहा था। वहीं दूसरी ओर फैसले के बाद उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठा दिए गए थे। ऐसे में जब राम मंदिर के भूमि पूजन की तारीख नजदीक आई तो ये परेशानी और बढ़ गई। नतीजतन ओवैसी जैसे लोग खुलकर इस फैसले के कारण हर पार्टी का विरोध करने लगे।

आजतक से बातचीत में ओवैसी ने कॉन्ग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “कॉन्ग्रेस हमेशा खामोशी से हिंदुत्व की राजनीति करती आई है। कॉन्ग्रेस को खुलकर कह देना चाहिए कि वह हिंदुत्व की विचारधारा को मानती है। कॉन्ग्रेस पहले भी मिली हुई थी। अब उनको यह तय करना है कि वो टीम हिंदुत्व का साथ देंगे या टीम इंडिया का जो धर्मनिरपेक्षता पर विश्वास रखती है।”

इसी प्रकार उन्होंने मुलायम सिंह यादव को भी आड़े हाथों लिया और कहा, “मुलायम सिंह यादव ने भी अपनी सियासी रोटी हमारे खून पर सेकी है। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जब दोबारा मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने तो वो इस मामले में सोते रहे। उन्होंने केस में कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। जिन लोगों को हमने रक्षक समझा, उन्हीं लोगों ने हमें नुकसान पहुँचाया है।”

इसके अलावा ओवैसी ने प्रियंका गाँधी के एक ट्वीट पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “खुशी है कि वे अब और नाटक नहीं कर रहे हैं। यह अच्छी बात है कि वो भी अतिवादी विचारधार को गले से लगा रही हैं। लेकिन भाईचारे के मुद्दे पर वो खोखली बातें क्यों करती हैं। शर्म मत कीजिए, आप इस बात पर गर्व महसूस करिए कि किस तरह से आपकी पार्टी ने उस आंदोलन में योगदान दिया, जिसकी वजह से हमारे बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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