पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव में आधे-अधूरे विपक्ष के साझा उम्मीदवार होंगे। दिल्ली में मंगलवार (21 जून, 2022) को विपक्षी दलों की बैठक में यशवंत सिन्हा का नाम सर्वसम्मति से पारित किया गया। यहाँ आधे-अधूरे विपक्ष की बात इसलिए कही गई है क्योंकि कई ऐसे दल जो एनडीए में शामिल नहीं हैं मसलन, बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कॉन्ग्रेस, अकाली दल वे इस विपक्षी गुट से अलग रहे हैं।
तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों की बैठक के बाद कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “हमने (विपक्षी दलों ने) सर्वसम्मति से फैसला किया है कि यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के साझा उम्मीदवार होंगे।”
We (opposition parties) have unanimously decided that Yashwant Sinha will be the common candidate of the Opposition for the Presidential elections: Congress leader Jairam Ramesh pic.twitter.com/lhnfE7Vj8d
— ANI (@ANI) June 21, 2022
बता दें कि इससे पहले आज ही यशवंत सिन्हा ने तृणमूल कॉन्ग्रेस पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि अब वह वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए काम करेंगे। वहीं राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आज विपक्षी दलों की बैठक में जयराम रमेश, सुधींद्र कुलकर्णी, दीपांकर भट्टाचार्य, शरद पवार, डी राजा, तिरुचि शिवा (डीएमके), प्रफुल्ल पटेल, येचुरी, एन के प्रेमचंद्रन (आरएसपी), मनोज झा, मल्लिकार्जुन खड़गे, रणदीप सुरजेवाला, हसनैन मसूदी (नेशनल कॉन्फ्रेंस), अभिषेक बनर्जी और रामगोपाल यादव के रूप में कई विपक्षी नेता शामिल थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बताया जा रहा है कि ओवैसी की पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील भी बैठक में मौजूद रहे। वहीं, इस बैठक में शामिल होने से पहले यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर कहा था, “जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी उसके लिए मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शुक्रिया करता हूँ। अब वो वक्त आ गया है जब पार्टी से हटकर एक बड़े उद्देश्य के लिए काम करना है।”
गौरतलब है कि सेवानिवृत्त IAS अधिकारी यशवंत सिन्हा ने पहले अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार में केंद्रीय वित्तमंत्री और फिर विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार सँभाला था। लेकिन एक लम्बे समय तक मोदी सरकार से चल रहे टकराव के बीच 2021 में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) में शामिल होने से पहले 2018 में भाजपा छोड़ दी। उन्हें पिछले साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले TMC का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था।
बता दें कि इससे पहले बीते 15 जून को तृणमूल ने दिल्ली में विपक्ष की बैठक बुलाई थी, जिसमें सर्वसम्मति से विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में शरद पवार का नाम प्रस्तावित किया गया था। हालाँकि, बाद में पवार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। फिर ममता बनर्जी ने तब नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गाँधी के नामों को दो संभावित नामों के रूप में प्रस्तावित किया था। लेकिन, फारुख अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गाँधी, दोनों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।