प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ उद्योगपति रतन टाटा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें ‘PM केयर्स’ फंड का ट्रस्टी बनाया गया है। वो ट्रस्ट की हालिया बैठक में भी शामिल हुए। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्माता सीतारमण भी मौजूद रहीं। उनके साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश केटी थॉमस और लोकसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर करिया मुंडा को भी पीएम केयर्स फंड का ट्रस्टी बनाया गया है।
देश के कई अन्य सम्मानित व्यक्तियों को भी ‘PM केयर्स’ फंड की सलाहकार समिति में नियुक्त किया गया है। एडवाइजरी बोर्ड में पूर्व कैग राजीव महर्षि, इन्फोसिस फाउंडेशन की पूर्व चेयरपर्सन सुधा मूर्ति, इंडिकॉर्प्स और पिरामल फाउंडेशन के पूर्व सीईओ आनंद शाह को भी नॉमिनेट किया गया है। मंगलवार (20 सितंबर, 2022) को ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इसकी एक बैठक भी संपन्न हुई है।
नए चुने गए सदस्यों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान नए ट्रस्टियों का स्वागत किया। इस फंड को 2020 में कोरोना वायरस महामारी के दौरान जनता की मदद के लिए बनाया गया था। ये आपातकालीन राहत के रूप में कार्य करता है। रतन टाटा अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान करने के लिए जाने जाते हैं और उनके बारे में कहा जाता है कि वो कर्मचारियों का भी खासा ख्याल रखते हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी ने पीएम केयर्स पर सवाल खड़े किए थे।
#JustIn | #PM Modi (@PMOIndia) chairs meeting of Board of Trustees of PM CARES Fund. Justice KT Thomas, Karia Munda, Ratan Tata, Join as Trustees#PMCARES #PMModi pic.twitter.com/nuGNOA2Hga
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18Live) September 21, 2022
ज्ञात हो कि पीएम-केयर्स फंड ने कोरोना वैक्सीन अभियान के पहले चरण में 2200 करोड़ रुपए का योगदान दिया था। यह टीकाकरण के पहले चरण की लागत का 80 फीसदी से अधिक था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी निजी बचत से 2.25 लाख रूपए पीएम केयर्स फंड में दान कर के इसकी शुरुआत की थी। कॉन्ग्रेस पार्टी ने 11 मई को एक ट्वीट किया था, जिसमें पीएम केयर्स फंड के बारे में गलत जानकारी दी गई थी, जिसके बाद FIR भी दर्ज हुई थी।