मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार (15 नवंबर 2020) को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर स्थित हिन्दू आश्रम में अगरबत्ती का निर्माण किया। इस अगरबत्ती का नाम ‘आशीर्वाद’ है। यह अगरबत्ती मंदिर में अर्पित और इस्तेमाल की गई फूल मालाओं से तैयार की गई है। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने इस पहल के संबंध में कई अहम बातें भी कहीं। उनका कहना था कि मंदिर में चढ़ाई जाने वाली फूल मालाएँ कुछ समय बाद व्यर्थ हो जाती थीं। अब इनकी मदद से अगरबत्ती और इत्र बनाया जाएगा।
यह अगरबत्ती भारत सरकार के केन्द्रीय औषधि एवं सुगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ और महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर के द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई है। यानी गोरखनाथ मंदिर में जितनी पुष्प और मालाएँ अर्पित की जाएँगी, अब वो व्यर्थ नहीं जाएगी।
इस अवसर पर लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान अपने विचार रखते हुए योगी आदित्यनाथ ने भी कई अहम जानकारी दी। उन्होंने कहा, “मंदिरों में लोग पुष्प चढ़ाते थे, मालाएँ लेकर जाते थे। 12, 14, 20 या 24 घंटे के बाद उन मालाओं को फिर से फेंक दिया जाता था। नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता था, कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता था और उसका परिणाम क्या होता था? आस्था भी आहत होती थी और कचरा भी इकट्ठा होता था।”
#WATCH मंदिरों में लोग जो मालाएं लेकर जाते थे वो कुछ घंटों के बाद नदियों के जल में प्रवाहित कर दी जाती थीं या कूड़े के ढेर में फेंक दी जाती थीं। इससे आस्था भी आहत होती थी और कचरा भी बढ़ता था। अब इनसे अगरबत्ती, धूप और इत्र बनाने का काम कर सकते हैं: यूपी मुख्यमंत्री, गोरखपुर pic.twitter.com/O24xTkhNic
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 15, 2020
इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा, “सीमैप और महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र मिल कर एक बड़ा कार्यक्रम आगे बढ़ा रहे हैं। वह कार्यक्रम है कि जितने भी ऐसे पुष्प आएँगे, जो मंदिरों में चढ़े होंगे, किसी तीर्थ स्थल पर चढ़े होंगे, किसी ने अपने घर में पूजा के लिए उपयोग किए होंगे, शादी विवाह जैसे कार्यक्रमों में उनका उपयोग हुआ होगा। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि पुष्प की खेती की और पुष्प सूख गए, हम इस तरह के पुष्पों को एक जगह एकत्रित करके उसकी मदद से धूप, अगरबत्ती और इत्र बनाने का कार्य भी कर सकते हैं।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह भी कहना था कि यह कार्यक्रम धर्म और पर्यावरण दोनों को मद्देनज़र रखते हुए शुरू किया जा रहा है। इससे उपयोग किए जा चुके फूलों को व्यर्थ होने से बचाया जा सकेगा और कचरा भी इकट्ठा नहीं होगा।
दरअसल गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में प्रतिदिन भारी मात्रा में पुष्प अर्पित किए जाते हैं और यह पुष्प कुछ ही समय बाद व्यर्थ हो जाते हैं। उन पुष्पों का सदुपयोग करने के लिए यह योजना शुरू की गई है, जिसके तहत ‘आशीर्वाद अगरबत्ती’ का निर्माण किया जा रहा है। यह अगरबत्ती गोरखपुर समेत आस-पास के अन्य शहरों में भी उपलब्ध होगी।