नेहरू-गाँधी परिवार के दामाद रॉबर्ड वाड्रा ने संवेदनहीनता की पराकाष्ठा का प्रदर्शन करते हुए अपनी पत्नी प्रियंका गाँधी वाड्रा के घर पर कथित सुरक्षा उल्लंघन की तुलना यौन अपराधों की क्रूरता के साथ की है। रॉबर्ट वाड्रा ने एक फेसबुक पोस्ट में यौन अपराधों में राजनीति को घुसाते हुए केंद्र सरकार को इन अपराधों के लिए दोषी ठहराया। जबकि कानून-व्यवस्था एक राज्य का विषय होता है।
रॉबर्ट वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, “यह प्रियंका की सुरक्षा के लिए नहीं है और ना ही मेरी बेटा-बेटी या फिर गाँधी परिवार के लिए है। यह हमारे नागरिकों के लिए है विशेषकर देश की महिलाओं को सुरक्षा देने की बात है ताकि वो खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। देश भर में महिलाओं को सही तरीके से सुरक्षा नहीं मिल रही है… लड़कियों से छेड़खानी और दुष्कर्म हो रहा है… किस तरह का समाज हम बना रहे हैं। हर नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। अगर हम अपने देश, अपने घर, सड़क पर या फिर दिन या रात के वक्त महफूज नहीं है तो फिर आखिर कहाँ और कब हम सुरक्षित रह सकते हैं?”
बता दें कि कुछ ही दिनों प्रियंका गाँधी के आवास पर कथित तौर पर कुछ अज्ञात लोग सेल्फी लेने के लिए घुस आए थे। प्रियंका गाँधी की सुरक्षा में हुई इस चूक का मुद्दा सीआरपीएफ के सामने भी उठाया गया था। देश भर में हो रहे यौन अपराधों के साथ इसकी तुलना करना बेहद संवेदनहीनता है। प्रियंका गाँधी के पास जेड-प्लस सुरक्षा कवर भी है, जिसमें उनके सुरक्षा में सीआरपीएफ कमांडो शामिल हैं। कथित तौर पर हुई सुरक्षा चूक के लिए सरकार को टारगेट करना कतई सही नहीं है।
बहरहाल, प्रियंका गाँधी जिस सुरक्षा चूक की बात कर रही थीं, वो उनके जानबूझकर किया गया ड्रामा साबित हुआ, क्योंकि जिस गाड़ी के प्रियंका के घर में ‘घुस आने’ को उन्हें मिली ज़ेड प्लस सुरक्षा की खामी बताया जा रहा है, उस गाड़ी में बैठी महिला को प्रियंका के ही निजी सचिव ने मिलने का समय दिया था। और तो और वो महिला कॉन्ग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुकीं हैं।
प्रियंका गाँधी की सुरक्षा में कथित चूक के साथ यौन अपराधों की तुलना करके रॉबर्ट वाड्रा ने कॉन्ग्रेस पार्टी के नैतिक अवहेलना की विरासत का परिचय दिया है। यह घटना न केवल यह दिखाता है कि क्यों हाल ही में हुए चुनाव में पार्टी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ रहा था, बल्कि इससे यह बात भी सामने आ रही है कि पार्टी पर राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में अप्रासंगिक होने का गंभीर खतरा है। फिलहाल पार्टी जिस तरह की राजनीति कर रही है, उसमें पार्टी को आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है, अन्यथा भविष्य में पार्टी की हालत और भी खराब होने वाली है।