बिहार में पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के VRS (Voluntary Retirement Scheme) लेकर राजनीति में शामिल होने की खबरों पर पिछले दिनों बहुत बवाल हुआ जबकि उनको चुनावों में टिकट तक नहीं मिली। अब यही स्थिति राजस्थान में देखने को मिली है और वीआरएस लेकर डीजीपी पोस्ट को अलविदा कहने वाले भूपेंद्र सिंह RPSC का चेयरमैन भी बना दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि इस VRS पर अब कहीं कोई सवाल नहीं उठ रहे जबकि गुप्तेश्वर पांडे के मामले में ट्रोल करना शुरू कर दिया गया था।
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले साल अगस्त में ही भूपेंद्र सिंह को डीजीपी के पद पर 2 साल के लिए नियुक्त किया था। उनका कार्यकाल 30 जून 2021 तक था, मगर उससे पहले ही भूपेंद्र सिंह ने पद छोड़ने की इच्छा जताई। इसके बाद प्रदेश सरकार ने इसे मंजूर कर लिया और उन्हें राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन का अध्यक्ष बनाया गया।
इस खबर के आने के बाद से कई सक्रिय सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल पूछना शुरू कर दिया कि आखिर मीडिया में इतना सन्नाटा क्यों है। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत पटेल उमराव ने लिखा, “बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे वीआरएस लेकर राजनीति में शामिल हुए तो बहुत कोहराम मचाया गया। राजस्थान के डीजीपी भूपेंद्र सिंह VRS लिए और अशोक गहलोत ने उन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग का चेयरमैन बना दिया। पर मीडिया में एकदम सन्नाटा।”
बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे वीआरएस लेकर राजनीति में शामिल हुए तो बहुत कोहर्रम मचाया गया।
— Prashant Patel Umrao (@ippatel) October 15, 2020
राजस्थान के डीजीपी भूपेंद्र सिंह VRS लिए और अशोक गहलोत नें उन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग का चेयरमैन बना दिया।
पर मीडिया में एकदम सन्नाटा!
लोगों का कहना है कि क्या ऐसी स्थितियों में सवाल केवल भाजपाइयों पर उठाया जाता है। यूजर कॉन्ग्रेस पर तंज मारते हुए कह रहे हैं कि कॉन्ग्रेस पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता क्योंकि उन्होंने आजादी दिलवाई है, इसलिए वे नियम बदल सकते हैं व बना भी सकते हैं। उनसे कोई सवाल नहीं करेगा, सबको एकदम चुप रहना होगा।
पंडित दिलीप शर्मा लिखते हैं कि राजस्थान में सेकुलर सरकार है और यूपी में कम्युनल। उत्तर प्रदेश में रेप का मतलब रेप होता है और राजस्थान में रेप का अर्थ रेप नहीं होता। जो सेकुलर लोग गुप्तेश्वर पांडे के लिए गला फाड़कर चिल्ला रहे थे, वह भूपेंद्र सिंह के मामले में फेविकोल लगाकर बैठ गए हैं।
प्रशांत भाई वहां सेकुलर सरकार है यहां कम्युनल सरकार है जैसे कि उत्तर प्रदेश का रेप रेप माना जाता है और राजस्थान में जो रेप होता और रेप नहीं होता है सेकुलर लोगों के लिए वैसे गुप्तेश्वर पांडे के लिए गला फाड़ फाड़ के चिल्ला रहे थे भूपेंद्र सिंह के लिए फेविकोल पीछे बैठ गए हैं
— पंडित दिलीप शर्मा (@Dileep73330389) October 15, 2020
यहाँ बता दें कि भूपेंद्र सिंह के अलावा RPSC पदों की नियुक्तियों में एक और जो चौंकाने वाला नाम आया है, वो कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा सैनी का है। मंजू शर्मा को राज्य सरकार ने राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाने का फैसला लिया है।
अब मंजू शर्मा का नाम RPSC सदस्यों में जुड़ने के बाद से ही सोशल मीडिया पर उनकी उपलब्धियों को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है। कई लोग इस घोषणा का यह कहकर मजाक उड़ा रहे हैं कि जिनके पति ने राहुल गाँधी को पप्पू की उपाधि दी, उन्हीं मंजू शर्मा को RPSC का सदस्य बना दिया गया।
उस कुमार अविश्वास की पत्नी को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया गया है
— PK hai kya (@pankajkarn3) October 15, 2020
ये भी पता चलना चहिये और साथ में ये भी की सिर्फ एक प्रोफेसर होने से और अजमेर से होने से RPSC की सदस्य बनने की योग्यता हो जाती है क्या
वहीं सवाल यह भी उठ रहा है कि गहलोत सरकार ने कुमार विश्वास की पत्नी को RPSC का सदस्य तो बना दिया मगर यह भी बता दें कि आखिर कैसे प्रोफेसर होने भर से मंजू शर्मा के पास RPSC की सदस्य बनने की योग्यता मिल जाती है?
उस कुमार अविश्वास की पत्नी को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया गया है
— PK hai kya (@pankajkarn3) October 15, 2020
ये भी पता चलना चहिये और साथ में ये भी की सिर्फ एक प्रोफेसर होने से और अजमेर से होने से RPSC की सदस्य बनने की योग्यता हो जाती है क्या
उल्लेखनीय है कि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा अजमेर सिविल लाइंस में भौंपो का बड़ा की निवासी हैं और 1994-95 में वह हिंदी की प्राध्यापक नियुक्त हुई थीं।