दिल्ली के लालकिले में आयोजित गीता प्रेरणा महोत्सव में रविवार (1 दिसंबर 2019) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता जर्नादन द्विवेदी भी नजर आए। द्विवेदी कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी के बेहद करीबी रहे हैं। जब सोनिया ने राजनीति में आने का फैसला किया था तो उन्हें हिन्दी सिखाने की जिम्मेदारी भी द्विवेदी पर ही थी। राहुल गॉंधी के अध्यक्ष बनने से पहले कॉन्ग्रेस संगठन में वे बेहद प्रभावशाली माने जाते थे।
ऐसे में भागवत के साथ उनके मंच शेयर करने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भी शिरकत की। कार्यक्रम का आयोजन ‘जीओ गीता’ नामक संगठन ने किया था।
बीते साल स्वेच्छा से सक्रिय राजनीति से किनारा करने वाले द्विवेदी सोनिया के अलावा कई कांग्रेस अध्यक्षों मसलन, इंदिरा गॉंधी, राजीव गॉंधी और पीवी नरसिम्हा राव के साथ भी काम कर चुके हैं। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का भी उन्होंने समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, “मैंने राम मनोहर लोहिया के नेतृत्व में राजनीति की शुरुआत की थी। वह हमेशा इस अनुच्छेद के खिलाफ थे। आज इतिहास की एक गलती को सुधार लिया गया है।” उस समय भी सोशल मीडिया में उनके इस बयान को लेकर कई तरह के कयास लगे थे।
RSS chief Mohan Bhagwat & Congress leader Janardan Dwivedi at a ‘Gita Mahotsav Programme’, in Delhi. pic.twitter.com/RB6Uy2lF5j
— ANI (@ANI) December 1, 2019
सक्रिय राजनीति से दूरी बनाते वक्त भी द्विवेदी ने कॉन्ग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि जिस संगठन में पूरी जिंदगी लगा दी उसकी यह स्थिति देख पीड़ा होती है। उन्होंने कहा था कि लोकसभा में पार्टी भीतरी कारणों से हारी। यहॉं तक कि आर्थिक आरक्षण पर पार्टी के स्टैंड की भी उन्होंने आलोचना की थी।
आरएसएस प्रमुख भागवत के साथ हाल में मंच साझा करने वाले वे कॉन्ग्रेस से जुड़े दूसरे नेता हैं। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस के विजयादशमी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। मुखर्जी का इस कार्यक्रम में जाना गॉंधी परिवार को रास नहीं आया था।