Sunday, November 17, 2024
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खुर्शीद ने राहुल गाँधी को बताया ‘लोकतंत्र का राजा’, जावेद अख्तर ने कहा- ‘यह ख्वाब, मोदी को बनाएगा हमेशा के लिए PM’

''मिस्टर सलमान खुर्शीद आपका विरोधाभास, 'लोकतंत्र का राजा' बेहद निराशाजनक है। राहुल गाँधी एक विपक्षी नेता के तौर पर स्वीकार्य हैं, लेकिन जो कोई भी उनके प्रधानमंत्री बनने का सपना देखता है वो नरेंद्र मोदी को हमेशा के लिए भारत का प्रधानमंत्री बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।''

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार (मई 21, 2021) को ट्वीट कर राहुल गाँधी को लोकतंत्र के भविष्य का राजा (प्रधानमंत्री) बता डाला। खुर्शीद ने राहुल और राजीव गाँधी की कोलाज फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया, ”भारतीय लोकतंत्र के पूर्व और भविष्य के राजा।” हालाँकि, उनकी यह बात कई लोगों के गले नहीं उतरी, जिसको लेकर उन्हें सोशल मीडिया पर जम कर ट्रोल किया गया।

वहीं, बॉलीवुड के लेखक व गीतकार जावेद अख्तर सलमान खुर्शीद की इस बात से असहमत नजर आए। अख्तर ने खुर्शीद के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मशहूर लेखक ने कहा कि लोकतंत्र का राजा कहना अपने आप में विरोधाभास है। राहुल गाँधी अच्छे विपक्षी नेता हो सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं।

अख्तर ने ट्वीट किया, ”मिस्टर सलमान खुर्शीद आपका विरोधाभास, ‘लोकतंत्र का राजा’ बेहद निराशाजनक है। राहुल गाँधी एक विपक्षी नेता के तौर पर स्वीकार्य हैं, लेकिन जो कोई भी उनके प्रधानमंत्री बनने का सपना देखता है वो नरेंद्र मोदी को हमेशा के लिए भारत का प्रधानमंत्री बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।”

जावेद अख्तर का यह ट्वीट भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा खुर्शीद को लताड़ने के बाद आया है। खुर्शीद की बिना सिर पैर की इस बात के जवाब में पात्रा ने पूर्व सांसद को याद दिलाया कि भारत एक लोकतंत्र है, वंश नहीं। पात्रा ने कहा कि खुर्शीद द्वारा घोषित लोकतंत्र में राजा नहीं होते, बल्कि राजवंशों के राजा होते हैं।

दरअसल, खुर्शीद की यह टिप्पणी राजीव गाँधी की पुण्यतिथि के दिन आई थी। राजीव गाँधी की 21 मई, 1991 को एक आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी, जब वे तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी सभा में थे।

बता दें कि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी, जो अब केरल के वायनाड से एक सांसद के रूप में विपक्ष में हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में वह कॉन्ग्रेस के गढ़ अमेठी से हार गए थे। राहुल जब पार्टी में अध्यक्ष के पद पर थे, तब कॉन्ग्रेस को पिछले लोकसभा चुनावों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा था।

उनकी पार्टी को सिर्फ 52 सीटें ही मिली थी। इसके चलते राहुल गाँधी को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया था और पार्टी ने अभी तक इस पद के लिए चुनाव नहीं कराया है। इस पद पर सोनिया गाँधी को अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया, जो डेढ़ साल से अधिक समय से इस पद पर हैं। ऐसे में कॉन्ग्रेस के नेताओं का राहुल गाँधी को भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में देखना खुद से बेमानी करने जैसा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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