महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार हुआ और उद्धव ठाकरे सरकार में एनसीपी के अजित पवार उप-मुख्यमंत्री बने। वहीं उनके बेटे आदित्य ठाकरे को भी कैबिनेट में शामिल किया गया। कॉन्ग्रेस के कोटे से सिने अभिनेता रितेश देशमुख के भाई अमित देशमुख को मंत्री बनाया गया। वो दिवंगत मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी कॉन्ग्रेस कोटे से मंत्री बने। हालाँकि, इन सबके बीच शिवसेना के कई विधायकों की नाराज़गी भी सामने आई, जो अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने और शिवसेना विधायकों को नज़रअंदाज़ किए जाने से नाराज़ हैं। लेकिन, इन सबके बीच कोई और भी निराश है।
सुनील राउत 2014 में मुंबई सब-अर्बन क्षेत्र के विखरोली विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत मिली। दोनों बार उन्होने शिवसेना के टिकट पर ही चुनाव लड़ा। अंदेशा जताया जा रहा था कि संजय राउत के भाई को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा लेकिन ऐन मौके पर उनका नाम हटाए जाने के आरोप लग रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में तो यहाँ तक दावा किया गया कि सुनील राउत शिवसेना से इस्तीफा भी दे सकते हैं। सुनील राउत, शिवसेना के प्रवक्ता और पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ के एग्जीक्यूटिव एडिटर संजय राउत के भाई हैं।
संजय राउत को ही शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस गठबंधन का सूत्रधार माना जाता है। उन्होंने ही भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ कर उद्धव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की पहल की। उन्होंने बार-बार “अगला मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा” बोल कर भाजपा गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद राजग से नाता तोड़ लिया। भाई को मंत्री न बनाए जाने वाले सवाल पर संजय राउत ने नाराज़गी की ख़बरों को नकार दिया लेकिन उनके बयान में थोड़ी झल्लाहट दिखी। संजय राउत ने कहा:
“हम माँगने वाले लोग नहीं हैं। हम देने वाले लोग है। हमने हमारे लिए या फिर हमारे परिवार के लिए कभी कुछ नही माँगा है। हम हमेशा हमारी पार्टी मे हमारा योगदान देने वाले लोग है। कुछ लोग मेरे परिवार को लेकर अफवाह फैला रहे हैं। हमलोग ठाकरे परिवार के प्रति हमेशा वफादार रहे हैं। मेरे परिवार ने महाराष्ट्र में सरकार गठन में योगदान दिया है। ये तीन दलों की सरकार है और सभी दलों में योग्य लोग हैं। कोटे के तहत जिसे जो मिला, स्वीकार्य है। मैं इसी बात से ख़ुश हूँ की हमारे नेता उद्धव राज्य के मुख्यमंत्री हैं। मेरे भाई सुनील ने कभी मंत्रीपद की माँग नहीं की।
हम मांगने वाले नही हम देने वाले है | हमने हमारे लिए या फिर हमारे परिवार के लिए कभी कुछ नही मांगा है | हम हमेशा हमारी पार्टी मे हमारा योगदान देने वाले लोग है | कुछ लोग इसप्रकार की बाते फेला रहे है | – @rautsanjay61 https://t.co/avgnUFJeW0 pic.twitter.com/MmPFUfv1X6
— Swapnil Ugale (@swapnilugale999) December 30, 2019
संजय राउत ने कहा कि उनका परिवार मंत्री बनने के लिए राजनीति में नहीं आया है बल्कि संगठन को मजबूत करने के लिए आया है। उन्होंने कहा कि उनके भाई सुनील लम्बे समय से विधायक रहे हैं लेकिन उन्होंने कभी भी मंत्री बनने की इच्छा नहीं जाहिर की। उन्हों कहा कि सुनील व उनके जैसे हज़ारों लोग लगातार पार्टी व महाराष्ट्र की जनता के लिए काम करने में लगे हुए हैं।
36 नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद अब महाराष्ट्र सरकार में कुल 43 मंत्री हो गए हैं। 33 कैबिनेट मंत्रियों में से 10 शिवसेना के हैं, 12 एनसीपी के और 10 कॉन्ग्रेस के हैं। एक मंत्री ‘क्रन्तिकारी शेतकरी पक्ष’ का है। 10 राज्यमंत्रियों में से 1 शिवसेना का, 5 एनसीपी के और 2 कॉन्ग्रेस के हैं। शिवसेना कोटे से एक निर्दलीय को राज्यमंत्री बनाया गया है। वहीं ‘प्रहार जनशक्ति पक्ष’ के विधायक को राज्यमंत्री का पद दिया गया है।